जयपुर

पीएचक्यू के आईजी ने तबादला किया दिव्यांग महिला का, कमांडेंट ने कहा हमारे दफ्तर की 29 सीढिय़ां कैसे चढ़ेगी महिला

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जयपुरMar 31, 2019 / 07:42 pm

Avinash Bakolia

पीएचक्यू के आईजी ने तबादला किया दिव्यांग महिला का, कमांडेंट ने कहा हमारे दफ्तर की 29 सीढिय़ां कैसे चढ़ेगी महिला

मुकेश शर्मा
जयपुर. राजस्थान पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) में कार्यरत एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दिव्यांग मनोरमा का तबादला फुटबॉल बन गया। दिव्यांग महिला अधिकारियों के यहां चक्कर लगा-लगाकर कर थक चुकी, लेकिन उसकी पीड़ा को नहीं सुना गया। पीएचक्यू ने मनोरमा का तबादला 9 मार्च को सेंट्रल स्टोर पुलिस मुख्यालय से पानीपेच स्थित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला कार्यालय में कर दिया। जगतपुरा निवासी मनोरमा ने एफएसएल कार्यालय की दूरी घर से दोगुना से अधिक होने का हवाला दिया और दिव्यांग होने पर आने जाने में परेशान होना बताया, तब उसका तबादला 22 मार्च को झालाना महल में चल रहे एसडीआरएफ कार्यायल में कर दिया गया। हालांकि पीड़िता झालाना महल पहुंची तो वहां उसकी हालत देख अधिकारियों ने मानवता दिखाई। उन्होंने दिव्यांग होने पर मनोरमा से पूछा कि महल की पहली मंजिल पर चल रहे कार्यालय की 29 सीढ़ियां कैसे चढ़ पाएंगी। दिन में एक दो बार भी काम से महल में नीचे उतरना पड़ सकता है। मनोरमा ने बताया कि एसडीआरएफ कमांडेंट ने मानवता दिखाते हुए 27 मार्च को पुलिस मुख्यालय में आईजी मुख्यालय को पत्र लिखा और उसमें बताया कि दिव्यांग होने पर वह महल की 29 सीढिय़ां नहीं चढ़-उतर सकेगी। एसडीआरएफ में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की बजाय चतुर्थ श्रेणी स्वीपर का पद खाली है। मनोरमा का तबादला निरस्त करवा कर चतुर्थ श्रेणी स्वीपर पद पर कर्मचारी का तबादला किया जाए।
इसलिए किया तबादला

मनोरमा ने बताया कि एक हाथ-पैर से दिव्यांग होने और कुछ माह से बीमार होने पर पीएचक्यू स्थित सेंट्रल स्टोर के अधिकारी ने शाम साढ़े पांच बजे तक डाक बांटने के बाद घर जाने की छूट दे रखी थी। इसी माह उसे आईजी हेडक्वार्टर ने जल्दी जाने और अवकाश करने के संबंध में नोटिस दिया। अधिक जानकारी नहीं होने पर नोटिस मिलने के बाद आईजी से मिलने नहीं पहुंची। इसके बाद 9 मार्च को तबादला कर दिया गया।पति की जगह लगी थी नौकरी परमनोरमा के पति राधेश्याम शर्मा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में 22 वर्ष तक कनिष्ठ सहायक पद पर कार्य किया। सेवाकाल के दौरान उनकी बीमारी से मौत हो गई। पति की जगह उनकी दिव्यांग पत्नी मनोरमा की वर्ष 2003 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में चतुर्थ श्रेणी नौकरी लगी थी। वर्ष 2014 में मनोरमा का तबादला पुलिस मुख्यालय के सेंट्रल स्टोर विंग में हो गया था, तभी से वह वहां पर डाक बांटने का काम कर रही थी।
बच्चे भी नहीं हैं

मनोरमा के बच्चे भी नहीं है। उनके पास उनके भाई-भाभी का परिवार रहता है। दिव्यांग होने पर घर से ऑफिस आने जाने में भी काफी परेशानी है। ऑफिस समय पर पहुंच सके, इसके लिए अधिक रुपए खर्च कर ऑटो रिक्शा से दफ्तर जाती हैं।
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