जवाहर कला केंद्र ( JKK ) के शिल्पग्राम में चल रहे दस दिवसीय ‘पिंकसिटी फेस्टिवल’ ( Pinkcity Festival In JKK ) में जहां फोक प्रस्तुतियां रिझा रही हैं, वहीं विभिन्न आइटम्स की निर्माण प्रक्रिया का प्रदर्शन भी आगंतुकों को आकर्षित कर रही है। यहां बिहार के हस्तनिर्मित लैदर आइटम्स ( Leather Items ) ध्यान खींच रहे हैं
Pinkcity Festival In JKK : Folk Artist In JKK Programme
जयपुर जवाहर कला केंद्र ( JKK ) के शिल्पग्राम में चल रहे दस दिवसीय ‘पिंकसिटी फेस्टिवल’ ( Pinkcity Festival In JKK ) में जहां फोक प्रस्तुतियां रिझा रही हैं, वहीं विभिन्न आइटम्स की निर्माण प्रक्रिया का प्रदर्शन भी आगंतुकों को आकर्षित कर रही है। यहां बिहार के हस्तनिर्मित लैदर आइटम्स ( Leather Items ) ध्यान खींच रहे हैं, तो जयपुर के वस्त्र उद्योग की ब्लॉक प्रिंटिंग का डेमोंस्ट्रेशन भी लोगों के लिए ज्ञानवर्धक साबित हो रहा है।
रिझा रहे लोक कलाकार ( JAIPUR NEWS ) फेस्टिवल में दोपहर 2 बजे से शाम 5.30 बजे तक लोक कलाकारों ( Folk Artist ) की प्रस्तुतियां शुरू हो जाती हैं। इनमें कठपुतली, बहरूपिया, जादूगर, अलगोजा, भोपा गायन और कच्छी घोड़ी के कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दिल जीत लेते हैं। इसके साथ ही शाम 6.30 बजे से विशेष लोकरंग जम रहा है। इसमें जहां मांगणियार गायन और सिम्फनी के साथ ही भपंग जैसी प्रस्तुतियां दी जा रही हैं, वहीं चकरी, भवाई, कालबेलिया आदि नृत्यों की धमक भी खूब जम रही हैं। अगले दिनों में गुजरात के सिद्धि धमाल और राठवा जैसे डांस भी होंगे।
लैदर पर्स और बैग्स महिलाओं को भा रहे बिहार के दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा से आए आर्टिजन एजाज़ के लैदर पर्स, बैग्स सहित विभिन्न आइटम्स दस्तकारी का बेहतरीन नमूना हैं। ज़ाहिर है, ये आइटम्स महिलाओं की पहली पसंद बन हुए हैं। एजाज़ बताते हैं कि लैदर की फिनिशिंग के बाद ब्लॉक से एम्ब्रास कर उसमें पेंटिंग की जाती है। बाटिक प्रिंट के पर्स, बैग्स भी हैं। इसके साथ ही जीन्स के कपड़े से भी बैग्स इत्यादि बनाते हैं। इनमें कांथा वर्क होता है। उनके बनाए लिपिस्टिक और ज्वेलरी केस भी महिलाओं की खास पसन्द बने हुए हैं।
ब्लॉक प्रिंटिंग का डेमोंस्ट्रेशन फेस्टिवल में जयपुर के प्रसिद्ध ब्लॉक प्रिंटिग वाले परिधान महिलाओं, खासकर कॉलेज गर्ल्स को रिझा रहे हैं। इस स्टाल पर राम बना पांडे ब्लॉक प्रिंटिंग का डेमोंस्ट्रेशन भी कर रहे हैं। उनके निर्मित कुर्ती इत्यादि काफी पसंद किए जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि इन पर प्राकृतिक रंगों से प्रिंटिग होती है। जो पेड़ों की छाल, पत्तियों, फलों के छिलकों, विभिन्न रंगों के पत्थरों से बनते हैं। पांडे बताते हैं, ‘इनमें काफी मेहनत होती है, लेकिन प्रोसेस प्रदूषण रहित होने का सुकून भी मिलता है।’