फाइलों में अंडे दे रही ऊंटनी के दूध का प्लांट लगाने की योजना
देश ही नहीं विदेशों तक में मांग पर सरकार नहीं दे रही ध्यान
फंड की आड़ में जिम्मेदारी से बच रहे अफसर
ऊंटपालकों-उपभोक्ताओं को इंतजार

जयपुर.कई घातक रोगों के लिए अचूक औषधि साबित होने वाले ऊंटनी के दूध की ख्याति लगातार परवान चढ़ रही है़। देश ही नहीं विदेशों से भी इसकी मांग लगातार आ रही है। इसके बावजूद ऊंटनी के दूध को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कोई खास कदम नहीं उठाए है। स्थिति यह है कि दो साल बाद भी जयपुर में शुरू होने वाले ऊंटनी के दूध के प्रसंस्करण के मिनी संयंत्र लगाने की योजना फाइलों में ही दबाकर रह गई है। सरकार की इच्छा शक्ति नहीं होने से पशुपालन विभाग और राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन के अफसर भी इसमें कोई रूचि नहीं दिखा रहे।यहीं वजह है उक्त योजना फाइलों में सिमटकर अफसरों की टेबिल पर ही घूम रही है। दरअसल, यहां ऊंटों की संख्या देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। इसे राज्य पशु घोषित किए जाने के बाद इस पर कई बंदिशे लग गईं और इसका उपयोग भी कम हो गया। संकट की स्थिति में ऊंटपालकों को संबंल देने के लिए पिछली राज्य सरकार ने बजट सत्र 2018-19 में जयपुर में ऊंटनी के दूध के प्रसंस्करण के लिए मिनी प्लांट लगाने के लिए 5 करोड़ का बजट प्रावधान रखा।
इसके पीछे उद्देश्य था कि आमजन को ऊंटनी का दूध आसानी से मिल सके और ऊंटपालकों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। लेकिन सरकार बदलते ही योजना ठंडे बस्ती में डाल दी गई। कभी कभार अफसर बैठकें कर चर्चा कर लेते हैं, लेकिन कोई राहत नहीं दिला पाए। ऊंटपालकों का कहना है कि दो साल में अफसरों और मंत्री कार्यालय में कई बार चक्कर लगाए लेकिन कोई भी उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। बस राज्य पशु की बेकद्री हो रही है।
बताया जा रहा है कि बजट घोषणा के बाद आरसीडीएफ ने प्रसंस्करण संयंत्र लगाने के लिए पहले गोपालन विभाग में प्रयास किए फिर भीलवाडा़, जैसलमेर, बीकानेर डेयरी से संपर्क किया लेकिन कोई सफलता नही मिली। पिछले साल जोधपुर डेयरी ने इसमें रूचि दिखाई थी। प्रोजेक्ट भी बनाकर भेजा था। इधर, इस साल जनवरी में सचिवालय में हुई बैठक में पाली में एक एनजीओ द्वारा संचालित मिनी प्लांट की तर्ज पर यहां लगाने पर सहमति बनी। इसकी रिपोर्ट के लिए पाली डेयरी को लिखा लेकिन वहां से अभी कोई जवाब नहीं मिला।
दूध के लिए पीएम को किया ट्वीट
लॉकडाउन में बैंगलूरु निवासी महिला ने अपने ऑटिज्म पीडित तीन वर्षीय बच्चे के लिए ऊंटनी का दूध मंगवाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को ट्वीट किया था। इसके बाद अधिकारियों ने तुंरत कार्रवाई करते हुए अजमेर से मुंबई जा रही मालगाड़ी को फालना स्टेशन पर रूकवाकर पाली जिले के सादड़ी से दूध भिजवाया।
फैक्ट फाइल
7 हजार लीटर ऊंटनी का दूध का हो रहा उत्पादन।
दिल्ली, महाराष्ट्र, हैदराबाद समेत कई राज्यों में भेजा जा रहा दूध।
300 रुपए प्रति लीटर तक बिक रहा दूध।
भीलवाडा़ , पाली, उदयपुर, चित्तौडग़ढ़, जैसलमेर और बीकानेर में कई जगह बिक रहा दूध।
मंथन चल रहा
ऊंटनी के दूध के प्लांट को लेकर कई जगह संभावना तलाशी गई। अब भी उन पर मंथन चल रहा है। फंड भी नहीं मिला। जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे ताकि आमजन को दूध मुहैया हो सके।
कन्हैया लाल स्वामी, एमडी, आरसीडीएफ
भटक रहे ऊंटपालक
ऊंटनी का दूध कई बीमारियों में कारगर सिद्ध हुआ है। आमजन को दूध की आसानी से उपलब्धता और ऊंटपालकों को संबंल देने के लिए योजना लाई गई थी। ऊंटपालकों से भी मिलवाया लेकिन सरकार की रूचि नहीं होने से यह आगे नहीं बढ़ पाई। यहीं वजह है कि, ऊंटपालक भटक रहे हैं।
गोवर्धन राईका, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान पशु पालन बोर्ड
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