रो-रोकर एक दूसरे को बताते हैं कि हो गया हमला…
जयपुरPublished: Oct 07, 2019 11:27:46 am
कीड़े के पत्ती, तना या फूल चट करने पर पौधे करते हैं एक खास रसायन स्त्रावित, जो आगाह करता है दूसरे पेड़ों को
रो-रोकर एक दूसरे को बताते हैं कि हो गया हमला…
ऐसा नहीं है कि इंसान या जानवर ही एक-दूसरे को हमलों से बचाते हैं, बल्कि पेड़-पौधे पर एक-दूसरे को कीड़े-मकौड़ों के हमले से बचाने में मदद करते हैं। जीववैज्ञानिकों ने पाया है कि कीड़ों का हमला होने पर एक वे एक-दूसरे को चेतावनी देने के लिए चीखते हैं। जब एक कीड़ा पत्ती, फूल या टहनी को खाता है तो पौधे अपनी रक्षा के लिए गंधवाला रसायन उत्सर्जित करते हैं। अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह रसायन दूसरे पेड़ों को भी उन पर होने वाले आसन्न हमले के लिए आगाह करता है। अलग-अलग पौधों की गंध उनके जीनोटाइप पर निर्भर करती है लेकिन जब उन पर हमला होता है कि यह अलग गंध ऐसी गंध में तब्दील हो जाती है, जिसे सारे पौधे पहचान लेते हैं। कॉर्नल यूनिवर्सिटी की टीम ने एक ऐसी ‘कॉमन लैंग्वेज’ ढूंढ निकाली है, जिससे पौधे आपस में एक दूसरे से बात करते हैं। शोध से जुड़े प्रोफेसर आंद्रे केसलर के मुताबिक, वे एक सामान्य भाषा में एक-दूसरे से बात करते हैं या फिर एक दूसरे को ऐसी चेतावनी भेजते हैं, जिसे आसपास के सभी पेड़-पौधे समझ लते हैं। एक पेड़ से मिली चेतावनी के बाद दूसरा पेेड़ अपने सुरक्षा घेरे को मजबूत कर लेता है। जैसे कुछ पौधे ऐसा रसायन स्त्रावित करने लग जाते हैं, जिससे कीड़े को उस पौधे का स्वाद अच्छा नहीं लगता। वहीं घास जैसे कुछ पौधे ऐसे हार्मोन स्त्रावित करते हैं, जो आसपास घूम रहे परजीवी ततैयों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं, जो कि हमलावर कीड़ों को खा जाते हैं। शोध के लिए टीम ने कनाडा में मूल रूप से पाई जाने वाली गोल्डनरॉड की एक प्रजाति सोलिडागो अल्टीस्सीमा का अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने इन पौधों को गमलों में उगाया और एक गोले में जमा दिया। एक गोले के बीच में रखे पौधे को पत्तियां खाने वाले एक बीटल ने नष्ट किया हुआ था। वैज्ञानिकों ने गमलों का प्रयोग इसलिए किया ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि पौधों ने जड़ों के जरिए कोई संवाद स्थापित नहीं किया है। शोध के नतीजे करंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।