यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि कोरोना के गंभीर मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी कारगर साबित हुई है। जयपुर, जोधपुर और कोटा के बाद उदयपुर से भी प्लाज्मा थेरेपी के जरिए गंभीर कोरोना मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है। राजस्थान में प्लाज्मा थेरेपी सबसे पहले जयपुर के एसएमएस अस्पताल से शुरू की थी। यहां सफल प्रयोग के बाद अन्य मेडिकल कॉलेजों ने भी आईसीएमआर से अनुमति मांगी थी। जल्द ही बीकानेर और अजमेर को भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की अनुमति मिल जाएगी।जल्द ही प्रदेश के जिला अस्पतालों में भी प्लाजमा थेरेपी से इलाज की योजना बनाई जा रही है।
डॉ. शर्मा ने कहा की प्रदेश में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर को शून्य पर लाने के प्रयास किए जाएंगे। अन्य राज्यों के मुकाबले राज्य में कोराना से होने वाली मृत्यु दर काफी कम है। इसे शून्य पर लाने के प्रयास किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग जल्द ही 12 हजार पल्स ऑक्सीमीटर खरीदेगा, जिनसे उन व्यक्तियों की पहचान आसानी से की जा सकेगी जो एसिंप्टोमेटिक या बिना लक्षण के हैं। उन्होंने कहा कि अभी सबसे ज्यादा चिंता बिना लक्षणों के कोरोना पॉजिटिव की है। यदि इनकी समय रहते पहचान कर ली जाए तो कोरोना के प्रसार को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 2 मार्च को टेस्टिंग की सुविधा नहीं थी, वहीं अब 42 हजार से ज्यादा टेस्ट प्रतिदिन करने की क्षमता विकसित कर ली गई है।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि गंभीर रूप से पीडि़त लोगों को 40 हजार कीमत की राशि के इंजेक्शन भी लगाए गए हैं। यह प्रयोग काफी हद तक सफल भी रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में काफी संवेदनशील है इसीलिए विभाग ने आरएमएससीएल को पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन खरीदने के भी निर्देश दे दिए हैं।
डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रदेश में टेस्टिंग को बढ़ाया है, यही वजह है कि कोरोना पॉजिटिव की संख्या भी बढ़ रही है। जितने ज्यादा टेस्ट होंगे कोरोना को उतना ही जल्दी नियंत्रित कर सकेंगे। प्रदेश के 27 स्थानों पर कोरोना की जांच की सुविधा विकसित कर दी गई है। जल्द ही प्रदेश के सभी जिलों में कोरोना की जांच की सुविधा मिलने लगेगी।