आपको बता दें कि पशुओं के स्वास्थ्य, संवर्धन, पोषण के लिए शुरू किए गए इस कार्यक्रम के तहत पशुओं में होने वाली अलग-अलग बीमारियों का टीकाकरण करवाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने देशभर के लिए 40 मोबाइल पशु चिकित्सा वाहनों को झंडी दिखाकर रवाना किया है। प्रधानमंत्री ने देशव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम भी शुरू किया है। आइए आपको ग्राफिक्स के जरिए दिखाते हैं कि आखिरकार राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम है क्या।
इस कार्यक्रम के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
—पीएम ने शुरू किया राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम
—12,662 करोड़ रुपए है इस कार्यक्रम की लागत
—50 करोड़ से अधिक पशुओं का होगा टीकाकरण
—2024 तक पूरा होगा टीकाकरण का लक्ष्य
—केन्द्र सरकार की ओर से है शत-प्रतिशत वित्तपोषित
—गाय, भैंस, भेड़, बकरी और अन्य का होगा टीकाकरण
—पशुओं को खुरपका मुंहपका रोग से बचाना है लक्ष्य
—पशुजन्य माल्टा-ज्वर से बचाव के लिए भी होगा टीकाकरण
—हर साल दुधारू पशुओं के 36 मिलियन मादा बच्चों का टीकाकरण
—2025 तक रोगों पर नियंत्रण करना है लक्ष्य
—2030 तक रोगों का उन्मूलन करना भी है लक्ष्य
—2019 से 2024 तक चलेगा यह कार्यक्रम
—इन सालों में खर्च होंगे 12,652 करोड़
—योजना से करोड़ों किसानों को होगा फायदा
—मवेशियों की सेहत में भी होगा सुधार
इस राेग से पशुआें की हाे जाती है माैत
आपको बता दें कि खुरपका मुंहपका पशुओं में फैलने वाली एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। यह रोग विषाणु से फैलता है। यह बीमारी गाय, भैंस, भेड़, बकरी इत्यादि को प्रभावित कर उन्हें बीमार कर देती है। यदि गाय याफिर भैंस इस बीमारी से पीड़ित हो जाती हैं तो उनकी दूध-उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। 2024 तक खुरपका मुंहपका बीमारी से देश को मुक्त करने का है लक्ष्य। इस रोग के लक्षणों की अगर बात करें तो पशुओं के मुँह से रस्सी की तरह अत्यधिक लार का टपकना, जीभ और तलवे पर छालों का उभरना भी है जो कि बाद में घाव में बदल जाते हैं। पशुओं के थूथनों पर छालों का उभरना भी इस संक्रामक बीमारी का प्रमुख एक लक्षण है। पशुओं के खुरों के बीच में घाव होना, मुँह में घाव होना समेत अन्य कई लक्षण भी हैं। उपचार नहीं होने पर पशु की मौत भी हो जाती है।