जयपुर

हैंगिंग ब्रिज से जुड़ी खास और अहम बातें- तो इसलिए पीएम मोदी के उद्घाटन के साथ ही झूम उठे राजस्थान के लोग

इस ब्रिज के पायलॉन में 33 मीटर तक कांक्रीट का स्ट्रक्चर है, जबकि हैंगिंग ब्रिज के ऊपरी हिस्से में स्टील कंक्रीट के बॉक्स का कंपोजिट स्ट्रक्चर है।

जयपुरAug 29, 2017 / 08:28 pm

पुनीत कुमार

मंगलवार को पीएम मोदी राजस्थान के दौरे पर रहें। जहां उन्होंने कई परियोजनाओं का शुभारंभ उदयपुर में रिमोट का बटन दबा कर किया। इन्हीं में से एक था कोटा में चंबल नदी पर 213.58 करोड़ रुपए की लागत से बना हैंगिग ब्रिज। तो वहीं इस ब्रिज के उद्घाटन के दौरान कोटा के लोग भी पीएम से सीधे रु-ब-रु हुए। साथ ही पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूरे राजस्थान के लोगों को संधोबित किया।
 

 

एक नजर हैंगिंग ब्रिज की खासियत पर…

 

जिस हैंगिंग ब्रिज का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया वह शहर का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। तो वहीं ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के तहत कोटा बाइपास पर शहर से करीब 20-22 किलोमीटर दूर चम्बल नदी पर बना हैंगिंग ब्रिज देश का सबसे बड़ा और पांचवां हैंगिंग ब्रिज है। इसकी लंबाई 1.4 किमी है। जबकि इसका 350 मीटर का हिस्सा हैंगिंग है। जो कि लंबाई के लिहाज से देश के अन्य हैंगिंग ब्रिज से अधिक है।
 

 

ये है ब्रिज से जुड़ी अहम जानकारी…

 

इस ब्रिज को तैयार करने में भारत समेत 7 अन्य देशों फ्रांस, अमरीका, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, इटली, जापान और यूक्रेन की तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। तो वहीं ब्रिज में लगे केबल के अंदर एयरो डायनामिक स्ट्रैंड तूफानी हवाओं से ब्रिज को महफूज रखने में मददगार होगा।
 

इस ब्रिज के पायलॉन में 33 मीटर तक कांक्रीट का स्ट्रक्चर है, जबकि हैंगिंग ब्रिज के ऊपरी हिस्से में स्टील कंक्रीट के बॉक्स का कंपोजिट स्ट्रक्चर है। जिससे ब्रिज को मजबूती मिलती है। तो वहीं केबल को जिस पायलॉन के जरिए कसा गया है, वो 80 मीटर ऊंचा है। जिस केबल पर पूरा ब्रिज आधारित है उसकी न्यूनतम लंबाई 41 मीटर और अधिकतम लंबाई 179 मीटर है।
 

 

10 साल पहले शुरु हुआ था ब्रिज बनाने का काम…

 

देश के सबसे बड़े हैंगिंग ब्रिज के निर्माण का काम साल 2007 में चम्बल नदी के तट पर शुरु हुआ था। इस ब्रिज को बनकर तैयार होने में कुल 10 साल लग गए। ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर को जोड़ने वाली इस ब्रिज पर पिछले कुछ दिनों पहले ट्रायल किया गया था। जिसके मंगलवार को पीएम मोदी उदयपुर से रिमोट के जरिए इस ब्रिज का उद्घाटन कर इसे प्रेदश की जनता के लिए खोल दिया।
 

 

ट्रैपिक लोड की जानकारी देने में है ब्रिज पर लगा विशेष सिस्टम…

 

इस ब्रिज की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें सूचनाओं की जानकारी रखने के लिए विशेष तरह के तकनीक का इस्तेमाल कर आधुनिक सिस्टम लगाए हैं जो कि ब्रिज पर ट्रैपिक लोड बढ़ने की दशा में सीधे कंट्रोल रुम को इसकी सूचना देगी। इतना ही नहीं ब्रिज की हर जानकारी कंट्रोल रुम तक पहुंचाती रहेगी। जबकि इसमें उपयोग में लाए गए उपकरण भारी बारिश, आंधी, चक्रवात और भूकंप जैसी प्राकृतिक अपादा के समय कंट्रोल रुम तक सूचनाएं पहुंचाने में मददगार होगी।
 

 

48 मजदूरों आहुति बेकार नहीं गई…

 

इस ब्रिज के निर्माण के दौरान 24 दिसम्बर 2009 के शाम के वक्त इसका निर्माणाधीन पिल्लर गिर गया था। उस वक्त कंक्रीट और सीमेंट के पहाड़ में कई लाशें दबी पड़ी थी। तो वहीं मरने वालों के परिजन नदी के किनारे विलाप कर रहे थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय हुए हादसे में ब्रिज के नीचे दबकर 48 मजदूरों की मौत हो गई थी। जिसके बाद कई सालों तक ब्रिज का काम रुक गया था। उसके बाद फिर साल 2014 में ब्रिज निर्माण ने फिर से गति पकड़ी और अब लोगों के लिए देश का सबसे बड़ा हैंगिंग ब्रिज बनकर तैयार हो गया।
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