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प्रदेश में 63 हजार से भी ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र, लेकिन इनमें एक चौथाई आंगनबाड़ी केंद्रों में ही बनाए गए हैं शौचालय

जयपुर।
प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत अभियान प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रो पर दम तोड़ रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रे की फिक्र न तो महिला बाल विकास विभाग को ही है न ही सरकार को। घटिया पोषाहार, दम तोड़ते भवन और अन्य अव्यवस्थाओं के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। इस बार मामला सीधा सेहत और सफाई से जुड़ा हुआ है। आंगनबाड़ी केंद्रो पर पढऩे और आने वाले लाखों बच्चों की जान सरकार खतरे में डाल रही है। आंगनबाड़ी केंद्रो पर शौचालय जैसी जरूरी सुविधाएं ही नहीं होने के कारण बच्चों और केंद्र संचालकों को खुले में जाना पड़ रहा है। इससे सफाई तो नष्ट हो ही रही है साथ ही सेहत पर भी विपरित असर पड़ रहा है।
प्रदेश में हैं 63 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र
राज्य सरकार ने प्रदेश में वर्तमान में 63298 आंगनबाड़ी केंद्र खोल रखे हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रो पर सवा लाख से भी ज्यादा बच्चे शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। इन बच्चों को पढ़ाने और इनके पोषाहार की जिम्मेदारी करीब साठ हजार से भी ज्यादा आंगनबाड़ी संचालकों के पास है। लेकिन इतनी बड़ी संख्या होने के बाद भी पढ़ाई का स्तर बेहद खराब है। साथ ही बच्चों को समय पर पोषाहार भी नहीं मिल पाता है।
सिर्फ एक चौथाई में ही बनाए गए हैं शौचालय
प्रदेश के ६३ हजार से भी ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रो पर अगर शौचालय की बात की जाए तो स्थिति बेहद खराब है। वर्तमान में सिर्फ एक चौथाई आंगनबाड़ी केंद्रो पर ही शौचालय बने हुए हैं। अभी तक सरकार सिर्फ 16134 आंगनबाड़ी केंद्रो को ही सफाई और सेहत दे सकी है। इतनी जगहों पर ही अभी तक शौचालयों का निर्माण किया गया है। हांलाकि शौचालय निर्माण के दौरान घटिया सामग्री के प्रयोग का मामला भी कई जिलों से सामने आया है।
इन चार योजनाओं के तहत बनाए गए हैं शौचालय
आंगनबाड़ी केंद्रों पर सोलह हजार शौचालय बनवाने में सरकार के पसीने छूट गए। सरकार ने इन शौचालयों का निर्माण एक, दो नहीं पूरी चार योजनाओं के तहत कराया है। इतनी योजनाओं के होने के बाद भी सरकार अभी तक पच्चीस प्रतिशत टारगेट ही पूरा कर सकी है। शौचालयों का निर्माण जिला परिषदों के माध्यम से मिशनमोड, स्वच्छ भारत अभियान, महानरेगा योजना, निर्मल भारत अभियान जैसी अन्य योजनाओं के तहत कराया गया है।
इन जिलों के हालत तो बेहद खराब
आंगनबाड़ी केंद्रो में शौचालय निर्माण को लेकर कुछ जिलों के हालात तो बेहद खराब है। तैंतीस जिलों में से छह जिले तो एेसे हैं जहां पर शौचालय निर्माण दहाई की संख्या तक आकर ही थम गया है।
सबसे बुरे हालात करौली जिले के है। वहां पर सरकार सिर्फ 19 जगहों पर शौचालय बनवा सकी है। झालावाड़ में 56, सिरोही में 70, चित्तौडगढ़ में 50, बांसवाड़ा में 79 और अलवर में सिर्फ 94 आंगनबाड़ी केंद्रो पर शौचालय निर्माण हो सका है। वहीं भरतपुर में सबसे ज्यादा 1585, उदयपुर में 1541, सीकर 1426, बाडमेर में 1343, झुझुनूं में 1270 और जयपुर में 1248 केंद्रो पर शौचालय बनाए गए हैं।
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