– निमोनिया के बारे में जागरूकता फैलाना
– निमोनिया की रोकथाम व उसका उपचार के लिए हस्तक्षेप को बढ़ावा देना
– निमोनिया का मुकाबला करने लिए एक्शन प्लान बनाना विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण निमोनिया की मरीजों को बढ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा है। मरीजों को समय पर इलाज ना मिलने से इससे होने वाली मौतें भी महामारी के दौरान बढ़ी हैं। निमोनिया एक तीव्र श्वसन संक्रमण है, जो कि फेफड़ों को प्रभावित करता है। आमतौर पर फेफड़ों की छोटी थैली में श्वास के दौरान हवा भर जाती है। हालांकि निमोनिया में फेफड़ों की इस जगह पर मवाद और द्रव भर जाता है, जो कि सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न करता है और ऑक्सीजन लेने में कमी करता है।
बच्चों या बुजुर्गों को यदि निमोनिया है तो इसमें बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत आती है। ऐसे में पूरे शरीर की ऑक्सीजन आपूर्ति कम हो जाती है। वहीं छाती में खिंचाव होने लगता है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. प्रद्रयुमन शर्मा का कहना है कि वायु प्रदूषण इस बीमारी के बड़े कारणों से है। वहीं धुम्रपान करने वाले व्यक्ति के सम्पर्क में लगातार रहने से भी यह बीमारी हो जाती है। डॉक्टर का कहना है कि वायु को साफ-सुथरा रखने की कोशिश की जानी चाहिए। इससे इस बीमारी में बड़ी राहत मिलेगी।