पॉक्सो कोर्ट के जज नरेंद्र सिंह मालावत ने अपने फैसले में मामले में गिरफ्तार अलवर निवासी पूरणचंद उर्फ राजेंद्र उर्फ अनुज को शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि इस तरह की घटनाए बढ़ती जा रही है यदि न्यायालय ने ऐसे अपराधियों के प्रति सहानुभूति दिखाई तो अपराधियों के हौंसलें बुलंद होंगे। ऐसे अपराधों में न्यायालय को ऐसे दंड से दंडित करना न्यायहित में आवश्यक है, जो उदाहरण स्वरूप हो और अपराध की पुनरावृति शून्य हो जाए।
पीड़िता की मां ने 18 जून 2016 को एसएमएस अस्पताल की पुलिस चौकी में सूचना दी कि वह एसएमएस अस्पताल परिसर में भगवान महावीर विकलांग समिति के कार्यालय में शाम छह बजे आई थी। उसके साथ उसकी तीन साल की बच्ची थी। वह रात नौ बजे अचानक लापता हो गई। बच्ची अगले दिन सुबह छह बजे मिली। बच्ची की हालात को देखते हुए जेके लॉन अस्पताल में भर्ती किया गया। जांच के पुलिस ने पूरणचंद को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया।
विशेष लोक अभियोजक ललिता महरवाल ने गवाहों, दस्तावेजी साक्ष्य और मेडिकल रिपोर्ट व एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर पूरणचंद को दोषी बताते हुए सख्त सजा की गुहार की। वहीं बचाव पक्ष ने उम्र और दिव्यांगता का हवाला देते हुए रहम की गुहार की। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर पूरणचंद को शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारवास और कुल 1.30 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
बच्ची के जननांगों में 12 गंभीर चोट बच्ची को जब इलाज के लिए जेके लॉन अस्पताल में भर्ती किया गया तो उसके जननांगों में 12 गंभीर चोट थी। अस्पताल में बच्ची के तीन बार ऑपरेशन करने पड़े और कई दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।