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आत्मशक्ति की जीत

locationजयपुरPublished: Jul 10, 2020 03:50:05 pm

Submitted by:

Chand Sheikh

नकारात्मकता को छोड़कर खुद में विश्वास पैदा कर हम जीत हासिल कर सकते हैं। यही संदेश दे रही है यह रचना।

आत्मशक्ति की जीत

आत्मशक्ति की जीत

खुद को कमजोर समझने के बजाय आत्मविश्वास के साथ हालात का मुकाबला करने का हौसला देती कविता
डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

आत्मशक्ति से बढ़कर जग में
अन्य न कोई शक्ति बनी।
आत्मतत्व की यह ताकत ही
भगवत पावनि भक्ति बनी।
इसी शक्ति के बल पर मीरां
जहर पचाना सिखा गई।
विषधर-व्यालों को फूलों का
हार बनाकर दिखा गई।

आओ हम भी अपने-अपने
आत्म तत्व को पहचानें।
कोरोना से जंग जीतने का
संकल्पित व्रत ठानें।

केवल बातें करने से कब
विजय शंख बज पाता है।
स्याह निशा का छंटे अंधेरा,
तब उजियारा आता है।
अभी तमस की रात शेष है,
अभी प्रभंजन नहीं रुका।
अभी दीप को जलना होगा,
अभी अंधेरा नहीं झाुका।

सूरज शशि तारा या दीपक
जो बन सकते, वही बनो।
जुगनू बनकर भी जूझो पर
स्याह-तमस का अंश हनो।
हम हैं हिंदुस्तानी ऐसा
गर्वित भाव जगाएं हम।
आओ मिलकर ‘कोरोना’ को,
जग से दूर भगाएं हम।

कवि राजकीय महाविद्यालय, सुजानगढ़, जिला-चूरु में सह आचार्य हैं।।

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