इसी शक्ति के बल पर मीरां
जहर पचाना सिखा गई।
विषधर-व्यालों को फूलों का
हार बनाकर दिखा गई। आओ हम भी अपने-अपने
आत्म तत्व को पहचानें।
कोरोना से जंग जीतने का
संकल्पित व्रत ठानें। केवल बातें करने से कब
विजय शंख बज पाता है।
स्याह निशा का छंटे अंधेरा,
तब उजियारा आता है।
जहर पचाना सिखा गई।
विषधर-व्यालों को फूलों का
हार बनाकर दिखा गई। आओ हम भी अपने-अपने
आत्म तत्व को पहचानें।
कोरोना से जंग जीतने का
संकल्पित व्रत ठानें। केवल बातें करने से कब
विजय शंख बज पाता है।
स्याह निशा का छंटे अंधेरा,
तब उजियारा आता है।
अभी तमस की रात शेष है,
अभी प्रभंजन नहीं रुका।
अभी दीप को जलना होगा,
अभी अंधेरा नहीं झाुका। सूरज शशि तारा या दीपक
जो बन सकते, वही बनो।
जुगनू बनकर भी जूझो पर
स्याह-तमस का अंश हनो।
अभी प्रभंजन नहीं रुका।
अभी दीप को जलना होगा,
अभी अंधेरा नहीं झाुका। सूरज शशि तारा या दीपक
जो बन सकते, वही बनो।
जुगनू बनकर भी जूझो पर
स्याह-तमस का अंश हनो।
हम हैं हिंदुस्तानी ऐसा
गर्वित भाव जगाएं हम।
आओ मिलकर ‘कोरोना’ को,
जग से दूर भगाएं हम। कवि राजकीय महाविद्यालय, सुजानगढ़, जिला-चूरु में सह आचार्य हैं।।
गर्वित भाव जगाएं हम।
आओ मिलकर ‘कोरोना’ को,
जग से दूर भगाएं हम। कवि राजकीय महाविद्यालय, सुजानगढ़, जिला-चूरु में सह आचार्य हैं।।