उम्मीद
अथाह अंधकार
अकूत दुख
अनगिनत विडंबनाएं
असख्य त्रासदियां
…बस उम्मीद थी तो बस उम्मीद से ही
जो सिसक रही थी क्षत विक्षत बुझाी सहमी
मैंने तब भी उसे पुकारा
आखिर वह उम्मीद थी जो कभी मिटती नहीं
अथाह अंधकार
अकूत दुख
अनगिनत विडंबनाएं
असख्य त्रासदियां
…बस उम्मीद थी तो बस उम्मीद से ही
जो सिसक रही थी क्षत विक्षत बुझाी सहमी
मैंने तब भी उसे पुकारा
आखिर वह उम्मीद थी जो कभी मिटती नहीं