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जयपुर

खतरा चारों ओर से

देश के जवानों में जोश भरने वाली यह कविता देश पर मंडरा रहे खतरों से आगाह करती है।

जयपुरJun 25, 2020 / 11:42 am

Chand Sheikh

खतरा चारों ओर से

खतरा चारों ओर से

कविता
नरेंद्र सिंह तंवर

हिन्द वीर तुम उठो आज सब,
गरजो पूरे जोर से।
हो जाओ तैयार देख अब,
खतरा चारों ओर से।

छोड़ो राज्य-जिला के मोह अब,
देखो भारत गौर से।
भूलो तुम सब द्वेष पुराने,
बंध जाओ एक डोर से।
जब सब मिल के साथ बढ़ोगे,
जीतोगे इस दौर से।
हो जाओ तैयार देख अब,
खतरा चारों ओर से।
काली आंधी ऊपर छाई,
मत डरना इस शोर से,
शाम भले ही हो भयानक,
पर हारेगी इक भोर से।
आज तिरंगा लहरा दो अब,
भारत के हर छोर से।
हो जाओ तैयार देख अब,
खतरा चारों ओर से।

संकट की इस कठिन घड़ी में,
सब मिलजुल कर रहना एक।
जब बोलेंगे एक स्वर में,
दुश्मन देगा घुटने टेक।
जिसके मुंह में जीभ नहीं थी,
बोल रहे वो जोर से।
हो जाओ तैयार देख अब,
खतरा चारों ओर से।
आज दिखाओ हिन्दुस्तानी,
जज्बा भारतवासी का।
‘सुखजी’ चमको सीमा पर,
बन चंदा पूरणमासी का।
भिड़ जाओ हीरा बन के,
जो काटे लोह कठोर से।
हो जाओ तैयार देख अब,
खतरा चारों ओर से।

हिन्द वीर तुम उठो आज सब,
गरजो पूरे जोर से।
हो जाओ तैयार देख अब,
खतरा चारों ओर से।
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