scriptएक संकल्प जरूरी है | Poem by Naveen dave | Patrika News

एक संकल्प जरूरी है

locationजयपुरPublished: May 23, 2020 03:47:26 pm

Submitted by:

Chand Sheikh

कोरोना महामारी ने हमें बहुत कुछ सिखाया भी है। प्रकृति और रिश्तों से दूरी, साथ ही कम होती इंसानियत का फिर से इस महामारी ने एहसास कराया है। ऐसे में हम सभी को यह संकल्प लेना जरूरी है कि हम आगे ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे हमें प्रकृति का कोप भाजन होना पड़े।

एक संकल्प जरूरी है

एक संकल्प जरूरी है

कविता

डॉ. नवीन दवे मनावत

सदी का सबसे भयानक
और यथार्थ का बोध
कराने वाला
हर आदमी के भीतर तक
मौत की परिभाषा गढऩे वाला
सच था कोरोना!

मदमस्त जिंदगी में
एक दहशत !
अप्रत्याशित भय!
रात के सपनों में
खुशी,निंदा,ईष्र्या,सुकून नहीं आता
केवल और केवल
सुनाई देती है आदमी के लाचार होने की
सन्नाटाई धुन!
मैं समझ गया
इस भयानक यथार्थ को
जिसे हम कोरोना!कोरोना! चिल्लाते हैं
इसके हेतु हम स्वयं है
तभी बेसुध है आदमी

ये चिरस्थायी तो नहीं!
जिससे भयग्रस्त हो जाए हम
परंतु एक चिंतन जरूरी है
अब मैं करूंगा
एक संवाद पेड़- पौधों के दर्द
और उनके स्नेहिल आंसुओं के साथ
मुस्कान लाउंगा फूलों संग
संवेदना की तह तक
महसूस करूंगा
नदी, झरनों, तारों,
और तथाकथित हरी -भरी पृथ्वी को
ताकि न पनप सके कोरोना जैसी
दैत्य सम महामारियां!
बोध हो गया समय का
निंदा, ईष्र्या- द्वेष,आदि से
तोड़ दूंगा सर्वदा रिश्ता।
रखूंगा नजर कि
बूढ़े मा- बाप खांस रहे हैं किसी कौने में
कहीं वो लाचार तो नहीं!
एक प्रेम की मधुर झिाड़की पाने को
तोड़ दूंगा आदमी के हक को मारने की युक्तियां!
सहलाने को मजबूर हो जाऊंगा
हर प्रकृति समूह को !
देखूंगा हर गली के कौने में
कि कोई भूख दहशत में
मर तो नहीं रहा है
तभी तो
एक संकल्प जरूरी है …..

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