script

मैं केवल देह हूं

locationजयपुरPublished: Jul 28, 2020 11:06:47 am

Submitted by:

Chand Sheikh

नारी के हालात को चित्रित कर रही हैं ये रचनाएं

मैं केवल देह हूं

मैं केवल देह हूं

कविताएं
राजेन्द्र जोशी

वह कौन चित्रकार है
उतारता है मेरे जैसा चेहरा
मैं वह नहीं हूं
किसी और की देह जो हूं
चरित्र होती हूं
चेहरे में

नहीं जानती मैं
किसकी भूमिका में हूं
नहीं बदलती देह
बदल जाता चेहरा
पल भर में मेरा
सचमुच ईमान नहीं बेचती देह
मर जाती
चेहरा बदलती
देह कहां बदली है मेरी

उतारता है वह मेरे चित्र
तो क्या हुआ
देह बनी रहती
उसके बनाए चित्र में
दिशाओं में बदल जाते
चित्र के चेहरे
बनाता है मेरे जैसा चेहरा ।
गहरे घाव
=======
भूल जाती हो
अपना दर्द
कहां छुपा लेती हो
मुझसे मिलते ही

प्रायश्चित नहीं करने देती
घावों को छुपाकर
जख्म के बाद
और गहरे हो जाएंगे यह घाव

क्षमा कर देती हो
प्रत्येक घाव के उद्घाटन पर
वेदना जो तुमने भोगी
घावों के साथ
दिखाती क्यों नहीं क्रोध
प्रतिशोध नहीं दिखाती

तुम्हारा दर्द
हरना चाहता हूं
यदि समझ सको मेरी भी पीड़ा
जिन्हें छुपा कर रखती हो तुम

अब मेरे रोम रोम में बसी है
तुम्हारी पीड़ा
भोग्या हूं
======
नारी हूं! भोग्या हूं
पीड़ा के साथ रहना
नियति है मेरी
मेरा अपना क्या है

यह घाव ही तो है
घृणा तो नहीं
मैं पांचाली नहीं
राधा नहीं
सीता नहीं
पर पीड़ा में कमी नहीं

जीना होता है पीना होता है
मुझे अकेले में
यही सार है
मेरे होने का…

ट्रेंडिंग वीडियो