scriptहोने वाली भोर है | Poem By rajiv jain | Patrika News

होने वाली भोर है

locationजयपुरPublished: Jul 24, 2020 01:47:43 pm

Submitted by:

Chand Sheikh

बाधाओं से न घबराकर लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते रहने का संदेश दे रही है यह रचना

होने वाली भोर है

होने वाली भोर है

कविता
डॉ. राजीव जैन

अंतहीन इस क्षितिज पर,
कैसे रोकोगे तुम मेरी उड़ान को!

माना की पथ यह दुर्गम है ,
प्रतिबद्धताएं दूषित,
सम्बन्ध विषम हैं!!

पंख मेरे बेशक कोमल ,
मन में मेरे फौलाद है !!
अंजाम की परवाह किसे है ,
खूबसूरत यह आगाज है !!!

विश्वास का सूरज है मुझमें ,
जो कभी अस्त नहीं होता !!!

हौसलों का जखीरा है मुझमें ,
जो कभी पस्त नहीं होता !!!
गुजर चुकी है रात अंधियारी ,
बस कुछ ही दूर भोर है !!!

रुक जाना नहीं ऐ पथिक ,
पास ही है मंजिल , बस छोटा सा मोड़ है !!!!

अंतहीन इस क्षितिज पर ,
कैसे रोकोगे तुम मेरी उड़ान को !!!
माना की पथ यह दुर्गम है ,
प्रतिबद्धताएं दूषित , सम्बन्ध विषम हैं !!!

पंख मेरे बेशक कोमल ,
मन में मेरे फौलाद है !!

अंजाम की परवाह किसे है ,
खूबसूरत यह आगाज है !!!
विश्वास का सूरज है मुझमें ,
जो कभी अस्त नहीं होता !!!

हौसलों का जखीरा है मुझमें ,
जो कभी पस्त नहीं होता !!!

गुजर चुकी है रात अंधियारी ,
बस कुछ ही दूर भोर है !!!
रुक जाना नहीं ऐ पथिक ,
पास ही है मंजिल , बस छोटा सा मोड़ है

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो