मैंने ही भूगोलों के
इतिहास बदल डाले हैं।
उठकर आने पर मेरे ही
शोषण के टूटे प्याले हैं।। वही राष्ट्र आगे बढ़ता है
जिसकी जाग उठे तरुणाई।
मंजिल वही प्राप्त करता है
जिसने लक्ष्य चेतना पाई।।
इतिहास बदल डाले हैं।
उठकर आने पर मेरे ही
शोषण के टूटे प्याले हैं।। वही राष्ट्र आगे बढ़ता है
जिसकी जाग उठे तरुणाई।
मंजिल वही प्राप्त करता है
जिसने लक्ष्य चेतना पाई।।
कविता-‘कहते हैं लिखने से मन हल्का हो जाता है’ पढऩे और सुनने के लिए यहां क्लिक कीजिए-https://www.patrika.com/jaipur-news/poem-by-ritu-shrivastav-7114639/ जुडि़ए पत्रिका के ‘परिवार’ फेसबुक ग्रुप से। यहां न केवल आपकी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि यहां फैमिली से जुड़ी कई गतिविधियांं भी देखने-सुनने को मिलेंगी। यहां अपनी रचनाएं (कहानी, कविता, लघुकथा, बोधकथा, प्रेरक प्रसंग, व्यंग्य, ब्लॉग आदि भी) शेयर कर सकेंगे। इनमें चयनित पठनीय सामग्री को अखबार में प्रकाशित किया जाएगा। तो अभी जॉइन करें ‘परिवार’ का फेसबुक ग्रुप। join और Create Post में जाकर अपनी रचनाएं और सुझाव भेजें। Patrika.com