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कविता- युवा आह्वान

locationजयपुरPublished: Oct 10, 2021 06:52:56 pm

Submitted by:

Chand Sheikh

Hindi poem

कविता- युवा आह्वान

कविता- युवा आह्वान

राजकिशोर वाजपेयी ‘अभय’

शांत रहूं तो धरती हूं मैं!
जाग उठूं आकाश।
मैं! युग की हूं विमल चेतना
मन का हूं विश्वास।।

मैं जीवन की अमर चेतना
सपनों की गहराई।
परिवर्तन है तेरी मेरी
कहलाती तरुणाई।।
मैंने ही भूगोलों के
इतिहास बदल डाले हैं।
उठकर आने पर मेरे ही
शोषण के टूटे प्याले हैं।।

वही राष्ट्र आगे बढ़ता है
जिसकी जाग उठे तरुणाई।
मंजिल वही प्राप्त करता है
जिसने लक्ष्य चेतना पाई।।
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