पिता अक्सर चुप रहते
पिता के पास समस्या नहीं होती
समस्या के समाधान जरूर होते
छोटी-छोटी बातों की जगह
पिता की आंखों में
आसमान छाया रहता
छोटी-मोटी बातें आती और चली जाती
पिता अपनी जगह से टस से मस नहीं होते
यहीं शिला पर पैर लटकाए बैठे होते
पिता के पास समस्या नहीं होती
समस्या के समाधान जरूर होते
छोटी-छोटी बातों की जगह
पिता की आंखों में
आसमान छाया रहता
छोटी-मोटी बातें आती और चली जाती
पिता अपनी जगह से टस से मस नहीं होते
यहीं शिला पर पैर लटकाए बैठे होते
पिता को इसी तरह
शिला या तख्त से पैर लटकाए
घंटों-घंटों बिना किसी से बात किए
बैठे देखा है
पिता बैठे रहते
कुछ इस तरह
जैसे कि एक सदी चली आ रही हो
और जाते-जाते कुछ कह रही हो
जो अनसुना सा रह जाए
शिला या तख्त से पैर लटकाए
घंटों-घंटों बिना किसी से बात किए
बैठे देखा है
पिता बैठे रहते
कुछ इस तरह
जैसे कि एक सदी चली आ रही हो
और जाते-जाते कुछ कह रही हो
जो अनसुना सा रह जाए
कुछ ऐसे ही पिता अक्सर
संसार से आते जाते बात करते मिलते
और फिर न जाने कहां
रहस्य में चले जाते
पिता अक्सर दार्शनिक लहजे में मिलते
बात न हो तो बात करते। कवि सह आचार्य हैं
संसार से आते जाते बात करते मिलते
और फिर न जाने कहां
रहस्य में चले जाते
पिता अक्सर दार्शनिक लहजे में मिलते
बात न हो तो बात करते। कवि सह आचार्य हैं