जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने 6 फरवरी,2017 को हाउसिंग सोसायटियों की गडबडियों पर प्रसंज्ञान लिया था। न्यायालय ने मुख्यत: हाउसिंग सोसायटियों के दोहरे पटटे और पिछली तारीख में पटटे देने पर को-आॅपरेटिव विभाग और पुलिस से विभिन्न बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने 18 अक्टूबर,2019 को विस्तृत आदेश से शहर में हाउसिंग सोसायटियों की ओर से बसाई गई कॉलोनियों में से सुविधा क्षेत्र,सार्वजनिक जमीन,सडकें,फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाने,नगर निगम और जेडीए प्रवर्तन शाखा में इस काम के लिए अलग से प्रकोष्ठ बनाने,जोन उपायुक्तों को अपनी जोन में निरंतर अतिक्रमण चिन्हित कर उन्हें हटाने और इस संबंध में जोनवार पालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। पुलिस को दोहरे पटटे और पिछली तारीख में पटटे बनाने के मामले में कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। वहीं सरकार ने एसीएस होम की अध्यक्षता में अतिक्रमण हटाने व हाउसिंग सोसायटियों के मामले में कार्रवाई और नगर निगम,जेडीए और को—आॅपरेटिव विभाग में कोआर्डिनेशन के लिए एक कमेटी बनाई थी। बुधवार को न्याय मित्र एडवोकट अनूप ढंढ ने न्यायालय को बताया कि सरकार की ओर से पेश पालना रिपोर्ट कागजी है। और वास्तविकता में कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं। एडवोकेट विमल चौधरी ने भी फर्जी पटटों के मामलों में पुलिस कार्रवाई नहीं होने और मिलीभगत की शिकायत की। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहान्ती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता ने चार अगस्त को पुलिस आयुक्त को हाजिर होकर जवाब देने को कहा है।