कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन के दौरान बाहर निकलने वालो से पुलिस की सख्ती के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर हुई है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि कई जगह देखने को मिला है कि पुलिस बहुत बेहतर और उदाहरण देने योग्य काम कर रही है। लेकिन इस विपत्ति के समय भी जनता को नुकसान पहुंचाया जाना चाहिए। लोगों को सुरक्षित रखते हुए इस तरह कानून तोड़ने वालों पर कानूनी कारवाई के संबंध में न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक से 7 अप्रैल सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है।
अधिवक्ता आशीष दवेसर ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि लॉकडाउन के दौरान आवश्यक काम से निकलने वाले लोगों के पुलिसकर्मी सख्ती से पेश आ रहे हैं उनको मारने के साथ बुरी तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। जबकि पुलिस को इस तरह बल प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। गैरकानूनी तरीके से जमा हुए लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। जिस पर न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी और न्यायाधीश एनएस ढड्ढा ने कहा कि कई ऐसी खबरे भी आई है जिसमें पुलिस ने उदाहरण देने योग्य काम किया है फिर से इस विपत्ति के समय पुलिस जनता को नुकसान पहुंचाए बिना कानूनी कार्रवाई कर सकती है। अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस महानिदेशक से इस संबंध में रिपोर्ट के साथ 7 अप्रैल तक जवाब तलब किया है।
प्रवासी मजूदरों को हुई परेशानी पर उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब राजस्थान उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता जेम्स बेदी के लिखे पत्र को जनहित याचिका मानते राज्य सरकार से जवाब मांगा है। बेदी ने 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय लॉकडाउन के बाद हजारों प्रवासी मजदूरों के पलायन के दौरान हुई परेशानी को पत्र के जरिए न्यायालय के सामने रखा था। बेदी ने कहा कि अभी भी हजारों मजदूर रास्ते में फंसे हुए है जिनके पास ना खाना है ना पानी और परिवहन सुविधा नहीं होने से पैदल चल रहे हैं उनके रहने का भी कोई इंतजाम नहीं है।
न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी और न्यायाधीश एनएस ढड्ढा ने अधिवक्ता जेम्स बेदी की बात आॅडियो कॉलिंग पर सुनी। अधिवक्ता बेदी ने मजदूरों के मानवीय अधिकारों के संरक्षण करने की गुहार अदालत से की। इस पर न्यायालय ने कहा कि उन्होंने भी कई खबरों और वीडियों में इस बात को देखा है वैसे सरकार ने भोजन, परिवहन और आश्रय देने की कोशिश की है। लेकिन मजदूरों में भय की वजह से ऐसी परिस्थितियां बनी। सरकार ने इस दौरान क्या कदम उठाए इस संबंध में अदालत ने 7 अप्रैल को 11—45 बजे रिपोर्ट तलब की है।
न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी और न्यायाधीश एनएस ढड्ढा ने अधिवक्ता जेम्स बेदी की बात आॅडियो कॉलिंग पर सुनी। अधिवक्ता बेदी ने मजदूरों के मानवीय अधिकारों के संरक्षण करने की गुहार अदालत से की। इस पर न्यायालय ने कहा कि उन्होंने भी कई खबरों और वीडियों में इस बात को देखा है वैसे सरकार ने भोजन, परिवहन और आश्रय देने की कोशिश की है। लेकिन मजदूरों में भय की वजह से ऐसी परिस्थितियां बनी। सरकार ने इस दौरान क्या कदम उठाए इस संबंध में अदालत ने 7 अप्रैल को 11—45 बजे रिपोर्ट तलब की है।