भुला चुकी थी पुलिस अपने दोस्तों को
प्रदेश में गत साल थानों में पुलिस मित्र बनाने की योजना की शुरुआत की गई थी। इसमें आमजन से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। राजस्थान पुलिस को मित्र बनने के लिए करीब 25000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था। आवेदन मिलने के बाद राजस्थान पुलिस ने करीब 15 हजार से ज्यादा पुलिस मित्रों को प्रदेश के अलग अलग थानों में दोस्त बना लिया था। प्रदेश में कानून व्यवस्था मजबूत करने और पुलिस प्रणाली की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए और समाज से जुड़ाव बनाने के उद्देश्य से इस पुलिस मित्र योजना की शुरुआत की गई थी। जिससे कि थाना स्तर पर रहने वाले लोग स्थानीय थाना पुलिस को सेवाएं दे सके। लेकिन जयपुर के आधा दर्जन थानों को छोड़ दे तो बाकी थानों की पुलिस अपने इन दोस्तों को मित्र बना कर भूल गई। जयपुर के आधा दर्जन थानों में तो यह पुलिस मित्र सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। लेकिन जयपुर के अन्य थानों की बात करें तो इन पुलिस मित्रों को जब से योजना से जोड़ा गया तब से लेकर अब तक याद ही नहीं किया गया था। लेकिन अब जब कोरोना की जंग लड़ने में पुलिस की नफरी कम पड़ने लगी और पुलिस को अपनी सहायता करने के लिए लोगों की जरूरत पड़ने लगी तो पुलिस ने इन प मित्रों को कॉल कर याद कर लिया हैं। अपने मित्रों को याद करने वाले कई थाने तो ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार अपने पुलिस मित्रों को याद किया हैं। अब पुलिस इस संक्रमण काल में अपने दोस्तों का सहयोग लेगी।
प्रदेश में गत साल थानों में पुलिस मित्र बनाने की योजना की शुरुआत की गई थी। इसमें आमजन से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। राजस्थान पुलिस को मित्र बनने के लिए करीब 25000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था। आवेदन मिलने के बाद राजस्थान पुलिस ने करीब 15 हजार से ज्यादा पुलिस मित्रों को प्रदेश के अलग अलग थानों में दोस्त बना लिया था। प्रदेश में कानून व्यवस्था मजबूत करने और पुलिस प्रणाली की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए और समाज से जुड़ाव बनाने के उद्देश्य से इस पुलिस मित्र योजना की शुरुआत की गई थी। जिससे कि थाना स्तर पर रहने वाले लोग स्थानीय थाना पुलिस को सेवाएं दे सके। लेकिन जयपुर के आधा दर्जन थानों को छोड़ दे तो बाकी थानों की पुलिस अपने इन दोस्तों को मित्र बना कर भूल गई। जयपुर के आधा दर्जन थानों में तो यह पुलिस मित्र सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। लेकिन जयपुर के अन्य थानों की बात करें तो इन पुलिस मित्रों को जब से योजना से जोड़ा गया तब से लेकर अब तक याद ही नहीं किया गया था। लेकिन अब जब कोरोना की जंग लड़ने में पुलिस की नफरी कम पड़ने लगी और पुलिस को अपनी सहायता करने के लिए लोगों की जरूरत पड़ने लगी तो पुलिस ने इन प मित्रों को कॉल कर याद कर लिया हैं। अपने मित्रों को याद करने वाले कई थाने तो ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार अपने पुलिस मित्रों को याद किया हैं। अब पुलिस इस संक्रमण काल में अपने दोस्तों का सहयोग लेगी।
यह जिम्मा दिया जाएगा
जयपुर कमिश्नरेट में करीब 1500 से ज्यादा लोग पुलिस मित्र बने। जयपुर के वेस्ट नॉर्थ साउथ और ईस्ट जिले की बात करें तो करीब 3 हजार से ज्यादा पुलिस मित्र बनने के लिए थानों में ऑनलाइन आवेदन किए गए थे। हालांकि कई थानों ने आवेदन पत्र की जांच करने के बाद कभी भी अपने मित्रों के साथ एक बार भी बैठक नहीं की। लेकिन अब क्राइम कंट्रोल और शांति के लिए पुलिस को मित्र चाहिए। पुलिस अब इन मित्रों को कॉलोनी की निगरानी का जिम्मा देने की तैयारी कर रही है। इनका सहयोग लेकर पुलिस ऐसे लोगों की जानकारी जुटाएगी जो बार-बार लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर भी नजर रखने के लिए इन मित्रों की सेवा ली जाएगी। इसके साथ ही बंद के दौरान कॉलोनियों में निगरानी करने का जिम्मा दिया जाएगा। वहीं इलाके में अगर किसी के पास राशन या फिर अन्य तरह की व्यवस्था नहीं है तो वह जिम्मेदारी भी पुलिस मित्र की होगी और पुलिस मित्र को थाना स्तर पर सूचना देनी होगी। साथ ही पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर अन्य तरह के कार्यों में इन मित्रों को लगाया जाएगा जिससे कि पुलिस जो 8 घंटे ड्यूटी करने के बाद सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रही है। उस जिम्मेदारी का निर्वहन करने में उसे अपने दोस्तों की सहायता मिल सके।
जयपुर कमिश्नरेट में करीब 1500 से ज्यादा लोग पुलिस मित्र बने। जयपुर के वेस्ट नॉर्थ साउथ और ईस्ट जिले की बात करें तो करीब 3 हजार से ज्यादा पुलिस मित्र बनने के लिए थानों में ऑनलाइन आवेदन किए गए थे। हालांकि कई थानों ने आवेदन पत्र की जांच करने के बाद कभी भी अपने मित्रों के साथ एक बार भी बैठक नहीं की। लेकिन अब क्राइम कंट्रोल और शांति के लिए पुलिस को मित्र चाहिए। पुलिस अब इन मित्रों को कॉलोनी की निगरानी का जिम्मा देने की तैयारी कर रही है। इनका सहयोग लेकर पुलिस ऐसे लोगों की जानकारी जुटाएगी जो बार-बार लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर भी नजर रखने के लिए इन मित्रों की सेवा ली जाएगी। इसके साथ ही बंद के दौरान कॉलोनियों में निगरानी करने का जिम्मा दिया जाएगा। वहीं इलाके में अगर किसी के पास राशन या फिर अन्य तरह की व्यवस्था नहीं है तो वह जिम्मेदारी भी पुलिस मित्र की होगी और पुलिस मित्र को थाना स्तर पर सूचना देनी होगी। साथ ही पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर अन्य तरह के कार्यों में इन मित्रों को लगाया जाएगा जिससे कि पुलिस जो 8 घंटे ड्यूटी करने के बाद सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रही है। उस जिम्मेदारी का निर्वहन करने में उसे अपने दोस्तों की सहायता मिल सके।
गौरतलब है कि इन दिनों पुलिस जो करीब 16 घंटे ड्यूटी कर रही हैं।पहले पुलिस की ड्यूटी ओर फिर समाज के सेवा पुलिस करने में जुटी हैं। ऐसे में पुलिसकर्मियों को इन मित्रों से सहयोग मिल सकेगा जिससे कि क्राइम पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा। वहीं जिस इलाके की जिम्मेदारी पुलिस मित्रों को दी जाएगी वहां पर पुलिस मित्रों को अवैध रूप से घूम रहे लोगों पर निगरानी रख थानों को यह बताना होगा कि कोई चोरी छिपे बाहर से आकर तो इलाके में नहीं रह रहा है। इसके साथ ही पुलिस मित्रों को यह भी जानकारी जुटानी होगी कि जिस इलाके की जिम्मेदारी उसे दी गई है। वहां किसी तरह की अवैध गतिविधि तो संचालित नहीं हो रही है। इन सबके लिए अब थाना स्तर से पुलिस मित्रों को कॉल कर याद करना शुरू कर दिया है और थानों पर पुलिस मित्रों को बुलाकर इन्हें जिम्मेदारी देने का काम भी शुरू कर दिया गया है। हालांकि अभी कुछ थाने से पुलिस मित्रों के पास फोन ही आए हैं वहीं कुछ स्थानों पर तो जिम्मेदारी इन मित्रों को दे दी गई है। ऐसे में पहली बार ही सही लेकिन पुलिस को अपने दोस्त याद तो आ गए हैं।