सीवर मजदूरों की मौत के मामलें में पुलिस अधिकारी कर रहें है लापरवाही
आदेश के बावजूद 20 प्रतिशत मामले दर्ज नहीं

जयपुर . सीवर सफाई के दौरान मजदूरों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट आदेश की पालना पर आला पुलिस अधिकारी बगलें झांकने लगे। उनको सुप्रीम कोर्ट आदेश की जानकारी नहीं थी। इसके अलावा इस्तगासे के बावजूद २० प्रतिशत मामले दर्ज नहीं होने की भी शिकायत है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की बैठक में बुधवार को पुलिस अधिकारियों की यह स्थिति सामने आई। उधर, आयोग को गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया के दामाद के मकराना में एक दलित ठेकेदार के ८ लाख रुपए हड़पने की शिकायत भी मिली है। कटारिया के दामाद के बारे में कमलेश बैरवा की ओर से आयोग को शिकायत दी गई है, जिसमें जाति शब्द कहने और धमकाने का आरोप लगाया गया है। आयोग को खासाकोठी में जन सुनवाई के दौरान यह शिकायत दी गई। हालांकि आयोग से इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
काम के दौरान मौत तो 10 लाख मुआवजा
आयोग अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में सीवर सफाई के दौरान १३ मजदूरों की मौत हो चुकी है, लेकिन अधिकारियों को कोर्ट आदेश की जानकारी ही नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीवर सफाई के दौरान मौत पर आइपीसी की धारा ३०२ के तहत मामला दर्ज करने और आश्रित को नौकरी देने के साथ ही पीडि़त परिवार को १० लाख रुपए देने का आदेश दे रखा है। आयोग अध्यक्ष ने माना कि दलित की हत्या या दुष्कर्म मामलों में ६ माह में चार्जशीट पेश नहीं हो रही है।
15 दिन में मांगी रिपोर्ट
कठेरिया ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन को लेकर भारत बंद के बाद हिंडौन विधायक और पूर्व विधायक का घर जलाने के मामले में 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है। बंद को लेकर गिरफ्तार ६६४ लोगों में से १८ अभी जेल में हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आदेश के तहत कार्रवाई होने पर एससी उत्पीडऩ अपराधों को बढ़ावा मिलता, इसी कारण केन्द्र ने रिव्यू पिटिशन दायर की।
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