दअऱसल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करने वाले अल्पसंख्यक वर्ग को उम्मीद थी कि सरकार बनते ही उनसे जुड़े बोर्ड-निगमो और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां होने से उनके अटके कामकाज फिर से पटरी पर लौट आएंगे लेकिन बीते ढाई साल से अल्पसंख्यक वर्ग को भी राजनीतिक नियुक्तियां की घोषणा होने का इंतजार करना पड़ रहा है।
वहीं अल्पसंख्यक वर्ग खासकर मुस्लिम समाज में सत्ता और संगठन के प्रति इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि सरकार ने जिन रिटायर्ड नौकरशाहों को राजनीतिक नियुक्तियां दी है उनमें एक भी मुस्लिम समाज से जुड़े रिटायर्ड नौकरशाहों को प्रतिनिधित्व नहीं है जबकि विधानसभा लोकसभा चुनाव हो या फिर स्थानीय चुनाव अल्पसंख्यक वर्ग में खुलकर कांग्रेस पार्टी का साथ दिया है। बावजूद इसके सरकार उनसे जुड़े महकमे को लेकर गंभीर नहीं है।
दूसरी ओर नगर-निगम चुनाव में भी अल्पसंख्यक वर्ग को मेयर नहीं बनाए जाने के बाद से उपजे विवाद के दौरान भी अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े नेताओं ने सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तक भी सत्ता और संगठन की शिकायत की थी। हालांकि आनन-फानन में प्रदेश प्रभारी अजय माकन की ओर से अल्पसंख्यक नेताओं को सत्ता और संगठन में महत्व देने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक भी अल्पसंख्यक से जुड़े महकमों को राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार करना पड़ रहा है।
प्रदेश में अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े जिन आधा दर्जन बोर्ड निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं उनमें वक्फ बोर्ड, हज कमेटी, मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, मेवात विकास बोर्ड, अल्पसंख्यक वित्त निगम, वक्फ विकास परिषद और उर्दू अकादमी शामिल हैं