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जयपुर

अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े बोर्ड-निगमों में ढाई साल से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार, उभरने लगा असंतोष

-आधा दर्जन से ज्यादा बोर्ड-निगम और आयोग में होनी है राजनीतिक नियुक्तियां, बोर्ड- निगमों में नियुक्तियां नहीं होने से अल्पसंख्यक वर्ग को नहीं मिल पा रहा इन महकमों से लाभ, महापौर चुनाव के दौरान सत्ता-संगठन के खिलाफ लामबंद हुए थे अल्पसंख्यक वर्ग के नेता, वक्फ बोर्ड, हज कमेटी, मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, मेवात विकास बोर्ड, अल्पसंख्यक वित्त निगम, वक्फ विकास परिषद और उर्दू अकादमी में होनी हैं राजनीतिक नियुक्तियां

जयपुरMay 15, 2021 / 11:39 am

firoz shaifi

फिरोज सैफी/जयपुर।

कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक के तौर पर माने जाने वाले अल्पसंख्यक वर्ग में ही अब कांग्रेस पार्टी को लेकर अंदर खाने असंतोष को उभरने लगा है। कई बार यह असंतोष खुलकर भी सामने आ चुका है। दरअसल इसकी एक वजह अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े बोर्ड-निगम और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने को लेकर है।
अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े बोर्ड-निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते अल्पसंख्यक वर्ग में अब गहलोत सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। मंत्रिमंडल में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने और महापौर चुनाव के दौरान भी अल्पसंख्यक वर्ग की नाराजगी खुलकर सामने आ चुकी है।
ढाई साल से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार
दअऱसल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करने वाले अल्पसंख्यक वर्ग को उम्मीद थी कि सरकार बनते ही उनसे जुड़े बोर्ड-निगमो और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां होने से उनके अटके कामकाज फिर से पटरी पर लौट आएंगे लेकिन बीते ढाई साल से अल्पसंख्यक वर्ग को भी राजनीतिक नियुक्तियां की घोषणा होने का इंतजार करना पड़ रहा है।
हालांकि सरकार ने केवल वक्फ बोर्ड में ही नियुक्त की थी लेकिन ये नियुक्तियां भी चुनाव के जरिए ही होती हैं और सरकार का इसमें सीधे दखल नहीं रहता है। वहीं वक्फ बोर्ड भी कार्यकाल अब समाप्त हो चुका है। वहीं कई महकमें में ऐसे भी हैं जिनसे अल्पसंख्यक को सीधा लाभ पहुंचता है और इन बोर्ड निगम आयोगों में नियुक्तियां नहीं होने से अल्पसंख्यक वर्ग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े नेताओं ने कई बार पार्टी के शीर्ष नेताओं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष भी इस बात को उठाया है। बावजूद इसके अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े महकमों में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं जिनसे कांग्रेस से जुड़े अल्पसंख्यक नेताओं में भी सत्ता और संगठन के खिलाफ नाराजगी सामने आने लगी है।
अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े नौकरशाहों की भी अनदेखी
वहीं अल्पसंख्यक वर्ग खासकर मुस्लिम समाज में सत्ता और संगठन के प्रति इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि सरकार ने जिन रिटायर्ड नौकरशाहों को राजनीतिक नियुक्तियां दी है उनमें एक भी मुस्लिम समाज से जुड़े रिटायर्ड नौकरशाहों को प्रतिनिधित्व नहीं है जबकि विधानसभा लोकसभा चुनाव हो या फिर स्थानीय चुनाव अल्पसंख्यक वर्ग में खुलकर कांग्रेस पार्टी का साथ दिया है। बावजूद इसके सरकार उनसे जुड़े महकमे को लेकर गंभीर नहीं है।
सोनिया-राहुल तक भी पहुंची थी शिकायत
दूसरी ओर नगर-निगम चुनाव में भी अल्पसंख्यक वर्ग को मेयर नहीं बनाए जाने के बाद से उपजे विवाद के दौरान भी अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े नेताओं ने सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तक भी सत्ता और संगठन की शिकायत की थी। हालांकि आनन-फानन में प्रदेश प्रभारी अजय माकन की ओर से अल्पसंख्यक नेताओं को सत्ता और संगठन में महत्व देने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक भी अल्पसंख्यक से जुड़े महकमों को राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार करना पड़ रहा है।
अल्पसंख्यकों से जुड़े इन बोर्ड-निगमों में होनी है नियुक्तियां
प्रदेश में अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े जिन आधा दर्जन बोर्ड निगमों और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं उनमें वक्फ बोर्ड, हज कमेटी, मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, मेवात विकास बोर्ड, अल्पसंख्यक वित्त निगम, वक्फ विकास परिषद और उर्दू अकादमी शामिल हैं
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