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राजस्थान पहुंची यूपी की सियासी लड़ाई, नेताओं में जुबानी जंग

locationजयपुरPublished: May 19, 2020 06:35:20 pm

Submitted by:

Umesh Sharma

उत्तर प्रदेश में प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की एक हजार बसें भेजने की पेशकश का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यूपी सरकार और कांग्रेस पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इस बीच राजस्थान में भी नेताओं के बीच इस मामले को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है।

राजस्थान पहुंची यूपी की सियासी लड़ाई, नेताओं में जुबानी जंग

राजस्थान पहुंची यूपी की सियासी लड़ाई, नेताओं में जुबानी जंग

जयपुर।

उत्तर प्रदेश में प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की एक हजार बसें भेजने की पेशकश का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यूपी सरकार और कांग्रेस पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इस बीच राजस्थान में भी नेताओं के बीच इस मामले को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कहा है कि कांग्रेस राजनीति करती है और ओछी राजनीति करती है यह पता था, लेकिन इतनी ओछी राजनीति करेगी, यह पता नहीं था। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए कोरोना को भी कांग्रेस ने राजनीतिक हथियार बना लिया, प्रियंका गांधी की बसें भेजने की मुहिम लगभग ऐसी ही लगी है। पूनियां ने कहा कि राजस्थान में हजारों लाखों प्रवासी पैदल चल दिए। मगर प्रियंका ने यहां की सरकार को कोई आदेश—निर्देश नहीं दिए। इससे उनकी सोच का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिना परमिशन के कुछ चंद नेता बॉर्डर पर आकर खड़े हो जाते हैं। लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं। इस पूरी मुहिम में प्रवासी श्रमिकों के पैदल चलने को भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम कांग्रेस कर रही है।
प्रवासी सड़कों पर हैं और केंद्र सोई हुई है

परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने यूपी और केंद्र सरकार को घेरा है। खाचरियावास ने कहा कि प्रवासी मजदूरों हिंदुसतान की सड़कों पर चल रहा है और केंद्र सोई हुई हैं। केंद्र अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रहा है। केंद्र सरकार कहती है राज्यों का मामला हैं केंद्र को कुछ नहीं करना है। यूपी, बिहार और मप्र की सरकार मजदूरों को घुसने देती नहीं है। प्रियंका गांधी जब कहती है सैंकड़ों बसें लेकर कार्यकर्ता बॉर्डर पहुंचते हैं, लेकिन यूपी सरकार परमिशन नहीं देती है। उन्हें बैक होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पहली बार देखा है केंद्र सरकार को यह तय करने में दिक्कत आ रही है कि पूरे देश में ट्रेनें चलानी है या नहीं। प्रवासी मजदूर नंगा और भूखा चल रहा है। एक्सीडेंट में मर रहा है। केंद्र सरकार कहती है राज्यों का मामला हैं केद्र को कुछ नहीं करना है। अगर केंद्र सरकार के थोड़ी बहुत शर्म बची है तो माफी मांगकर मजदूरों की स्थिति सही करनी चाहिए।
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