scriptसियासी संकट के बीच राजस्थान में कब-कब आई बाड़ाबंदी की नौबत? | political crisis continues in rajasthan's politics | Patrika News

सियासी संकट के बीच राजस्थान में कब-कब आई बाड़ाबंदी की नौबत?

locationजयपुरPublished: Aug 09, 2020 11:17:08 am

Submitted by:

firoz shaifi

-राजस्थान में 1996 से हुई थी बाड़ाबंदी की शुरूआत, 2020 में छठी बार हुई विधायकों की बाड़ाबंदी, झारखंड, उत्तराखंड, गोवा और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात के लिए भी यहां हो चुकी है बाड़ाबंदी, 2020 में मध्य प्रदेश, गुजरात, और प्रदेश के राज्यसभा चुनाव के लिए हो चुकी है बाड़ाबंदी

फिरोज सैफी/जयपुर।

प्रदेश में सरकार गिराने और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच पिछले एक माह से बाड़ाबंदी में रह रहे कांग्रेस के विधायकों के बाद अब प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने भी अपने विधायकों की बाड़ाबंदी शुरू कर दी है। पिछले दो दिनों में प्रदेश भाजपा ने अपने बीस विधायकों को बाड़ाबंदी के तहत गुजरात शिफ्ट किया है।

6 विधायकों को शनिवार को एक चार्टर प्लेन के जरिए गुजरात भेजा गया। आरोप लगाया गया कि कांग्रेस सरकार भाजपा विधायकों पर दबाव डाल रही है। आज कुछ विधायकों को और गुजरात भेजा जाएगा, वहीं कई विधायकों को मध्यप्रदेश भेजा जाएगा।

दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। 13 अगस्त तक ये कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के विधायक बाड़ाबंदी में रहेंगे। हालांकि प्रदेश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब तोड़फोड़, सरकार गिराने के साजिशों के आरोपों के चलते बाड़ाबंदी हुई हो। सरकार गिराने और बनाने के साथ-साथ राज्यसभा चुनाव के लिए प्रदेश में कई बार बाड़ाबंदी हो चुकी है। प्रदेश के साथ-साथ यहां दूसरे प्रदेशों के विधायकों की बाड़ाबंदी भी हो चुकी है। इनमें झारखंड, उत्तराखंड, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात व मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों की बाड़ाबंदी हो चुकी है।


1996 में हुई बाड़ाबंदी की शुरुआत
दरअसल राजस्थान में विधायकों की बाड़ाबंदी की शुरुआत 1996 में पूर्व मुख्यमंत्री और देश के उपराष्ट्रपति रहे स्व. भैरोसिंह शेखावत के दौर में हुई थी, जब जनता दल से बगावत करके आए विधायकों को भाजपा में शामिल कराकर भाजपा की सरकार बनवाई गई थी।

हालांकि उसके बाद ये चलन राजस्थान में बढ़ता चला गया। इसके बाद 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झारखंड की अर्जुन मुंडा सरकार को बचाने के लिए झारखंड के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी की थी, उन्हें अजमेर रोड स्थित एक बड़े रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया था। बाड़ाबंदी के चलते झारखंड में अर्जुन मुंडा सरकार बच गई थी।


उत्तराखंड भाजपा विधायकों की जयपुर में हुई थी बाड़ाबंदी
साल 2016 में उत्तराखंड में तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर जब सियासी संकट आया था, उस वक्त हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, भाजपा विधायकों के टूटने और खरीद फरोख्त के डर से भाजपा ने अपने दो दर्जन से ज्यादा विधायकों को जयपुर भेजा था, इन्हें दिल्ली रोड स्थित एक रिसोर्ट में ठहराया गया था। हालांकि फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत सरकार ने बहुमत साबित कर दिया था।


नवंबर 2019 में महाराष्ट्र के लिए हुई थी बाड़ाबंदी
वहीं 2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने और जोड़तोड़ की सरकार बनाने के लिए कांग्रेस अपने विधायकों को जयपुर शिफ्ट किया था। नवंबर में कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को दिल्ली रोड स्थित ब्यूना विस्टा रिसोर्ट में करीब दो सप्ताह तक ठहराया था। बाद में भाजपा की फडनवीस सरकार फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर सकी और शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन वाली उद्धव ठाकरे सरकार सत्ता में आई।


इस साल आठ माह में 6 बार बाड़ाबंदी
वहीं इस साल की बात की जाए तो 2020 में अकेले 6 बार विधायकों की बाड़ाबंदी हुई है। वहीं साल 2020 में मार्च माह की शुरुआत में मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट के बीच कांग्रेस विधायकों को भी जयपुर शिफ्ट किया था। इन्हें भी ब्यूना विस्टा रिसोर्ट में करीब दो सप्ताह तक ठहराया था। बाड़ाबंदी की कमान खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों में थीं। हालांकि विधायकों के टूटने से कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई थी।


वहीं गुजरात में चार सीटों पर हो रहे राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर भी कांग्रेस विधायकों को जयपुर शिफ्ट किया गया था। इन्हें भी दिल्ली रोड स्थित एक रिसोर्ट में ठहराया गया था। हालांकि तभी कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन हो गया और राज्यसभा चुनाव स्थगित कर दिए गए थे। हालांकि उसके बाद जब दोबारा राज्यसभा चुनाव की तारीखें घोषित की गई थी उसके बाद भी गुजरात कांग्रेस के विधायकों को गुजरात से सटे अंबा माता मंदिर इलाके के एक रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया था।


राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की आशंका के चलते हुए थी बाड़ाबंदी
प्रदेश में हाल ही में तीन राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव में क्रॉस वोटिंग की आशंका के चलते गहलोत सरकार ने अपने सभी विधायकों को दिल्ली रोड स्थित शिव विलास और एक अन्य होटल में शिफ्ट किया था। मतदान के दिन इन सभी विधायकों को बसों के जरिए विधानसभा लाया गया था।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो