-कांग्रेस…गहलोत और पायलट… निकाय चुनाव नतीजों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित आठ मंत्रियों के क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूती मिली है, जो कि उनके राजनीतिक कद को और बढ़ाएगा। कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मजबूत होकर उभरे वहीं, केंद्रीय नेतृत्व में उनकी साख भी बढ़ेगी। उधर, इन नतीजों से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की संगठनात्मक शक्ति बढ़ेगी वहीं, ये नतीजे उन्हें रणनीतिक मजबूती भी प्रदान करेंगे। अब उनका जोर इस बात पर रहेगा कि वे अपने से जुड़े कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक राजनीतिक नियुक्ति दिलवा सकें।
-भाजपा…राजे और पूनियां उधर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के क्षेत्र उदयपुर में भाजपा मजबूत रही, जबकि उपनेता राजेंद्र राठौड़ के क्षेत्र चूरू में भाजपा को शिकस्त मिली है। दोनों ही नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं। जहां तक भाजपा के नए प्रदेश नेतृत्व की है तो भाजपा में सतीश पूनियां के नेतृत्व के लिए आने वाले समय में चुनौतियां बढ़ेंगी। पार्टी में एक पक्ष
की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की निष्क्रियता को लेकर सवाल उठाए जा सकते हैं। हालांकि मौजूदा हालात में ये भी तय है कि आने वाले समय में केंद्रीय नेतृत्व से राजे का टकराव बढ़ेगा या फिर राजे से तालमेल बैठाने की कोशिश की जाएगी। जानकारों ये भी मानना है कि राजे विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार और लोकसभा में भाजपा की बंपर जीत से कुछ राजनीतिक रूप से असहज हुई हैं और वे केंद्र से टकराव को टालते हुए कोई बीच का रास्ता निकाल सकती हैं। दरअसल जैसा कि पहले 72 दिन तक गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष बनने से रोकने की उनकी कथित राजनीतिक हठ के बाद जैसे मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और फिर राजे की इच्छाओं को दरकिनार कर सतीश पूनियां को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, उससे लगता है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व राजस्थान में अब एक नया और युवा नेतृत्व उभारने के पक्ष में है। एेसे हालात में राजे को समझौते का कोई बीच का रास्ता निकालना होगा।