गहलोत खेमे के जुड़े नेताओं की माने तो दावा 105 विधायकों का किया जा रहो, लेकिन मौजूदा हालात में गहलोत खेमे के पास 101 विधायक हैं। हालांकि इसमें माकपा के दो विधायक शामिल नहीं है। ऐसे में गहलोत सरकार केवल 2 विधायकों के भरोसे पर टिकी है।
अगर सरकार को समर्थन दे रहे दो विधायक इधर -उधर हुए सरकार पर संकट आ सकता है और सरकार 99 के फेर में फंस सकता है। यहीं चिंता इन दिनों गहलोत खेमे को सताए जा रही है। हालांकि गहलोत कैंप से जुड़े नेताओं की माने तो माकपा के दो विधायक भले ही बाड़ाबंदी में उनके साथ न हो, लेकिन जब भी फ्लोर टेस्ट होगा या फिर सरकार बचाने की बात आएगी तो माकपा विधायक सरकार के पक्ष में खड़े रहेंगे।
वहीं गहलोत कैंप के अन्य नेताओं को ये भी डर है कि अगर भले ही माकपा अभी समर्थन का दावा करें लेकिन सरकार बचाने के वक्त ये तटस्थ रहे तो फिर दिक्कत हो सकती है।
सीपी-मेघवाल नहीं कर पाएंगे वोट
वहीं पार्टी के दो विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान पार्टी के पक्ष में मतदान नहीं कर पाएंगे क्योंकि इन दो विधायकों में एक विधानसभा स्पीकर हैं जो संवैधानिक पद पर हैं। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल लंबे समय से गुड़गांव के मेंदाता अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं जिसके चलते उनके वोट करने की संभावना नहीं के बराबर है।
पायलट खेमे के विधायकों से संपर्क
सूत्रों की माने तो गहलोत सरकार पर मंडरा रहे संकट को दूर करने के लिए ही पिछले एक सप्ताह से कांग्रेस के आला नेता पायलट खेमे के विधायकों से संपर्क साध रहे हैं। गहलोत कैंप के नेताओं को उम्मीद है कि पायलट से खेमे से एक तीन-चार विधायक भी टूटक इधर आ गए तो सरकार के ऊपर मंडरा रहे अनिश्चिता के बादल हट जाएंगे और सरकार को मजबूती मिल जाएगी।
इन विधायकों से संपर्क साधने के लिए पार्टी ने विधायकों के परिजनों की भी ड्यूटी लगाई है। इन विधायक के परिवार जनों के लोग भी कांग्रेस में सक्रिय राजनीति करते हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दावा किया था कि बागी विधायकों में से तीन विधायक वापस हमारे पास आ जाएंगे।