-करीब छह साल से मोदी सरकार…एनसीआरटी में क्यों नहीं : डोटासरा पुस्तकों में यह भी लिखा गया कि सावरकर ने अंग्रेजों के सामने दया याचिकाएं पेश की। इस मामले को लेकर अब प्रदेश में भी सियासत गरमा गई है। एक तरफ भाजपा के नेता सावरकर को भारत रत्न देने की पैरवी करने में जुटे है तो शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बड़ा सवाल दागा कि जब केंद्र में छह साल से मोदी सरकार है तो फिर एनसीआरटी की पुस्तकों में सावरकर क्यों नहीं पढ़ाया जा रहा है।
-राजस्थान में पहले वीर थे सावरकर सरकार ने दसवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में पाठ तीन में बदलाव किया है। अंग्रेजी साम्राज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष नाम पाठ में वीर सावरकर के हिस्से में परिवर्तन इस साल हुआ है।
-अब पुस्तक में दया याचिकाओं का जिक्र सावरकर का लंबा समय अंडमान सेलूलर जेल में बीता। जेल में कठोर यातनाएं दी गई। जेल के कष्टों से परेशान होकर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष दया याचिकाएं भेजी। पहली दया याचिका 30 अगस्त 1910, दूसरी 14 नवंबर 1911 को भेजी गई, जिसमें सावरकर ने स्वयं को पुर्तगाल का पुत्र कहा। इसके अलावा पुस्तकों से वीर बिल्कुल हटा दिया गया है।
-डोटासरा बनाम देवनानी वीर सावरकर को भारत रत्न देने के विवाद के मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। मौजूदा शिक्षा मंत्री डोटासरा का कहना है कि राजस्थान के विद्यार्थियों को एक दम सही इतिहास पढ़ाया गया है, पिछली भाजपा सरकार ने संघ के इशारे पर गलत तथ्य जोड़ दिए थे। दूसरी तरह पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है कि एनसीआरटी की पुस्तकों में बदलाव की कवायद चल रही है, जल्द सभी को सच पढऩे को मिलेगा।
-भारत रत्न किस लिए… राज्य के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा का कहना है कि वीर सावरकर ने आजादी के संग्राम में ऐसा कोई काम नहीं, जिससे उनके नाम के आगे वीर या देशभक्त जोड़ा जाए। सावरकर को किस बात का भारत रत्न दिया जाए।
-इस तरह के पत्र तो गांधीजी सहित अन्य ने भी लिखे : देवनानी
उधर, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है कि कांग्रेस नेताओं को हमेशा एक परिवार के महिमा मंडन के अलावा कुछ नजर नहीं आता। वीर सावरकर ने जेल में रहकर जिस तरह की यातनाएं सही थी, इस तरह की यातना किसी कांग्रेसी ने 14 दिन भी नहीं सही। कांग्रेस जिस तरह के पत्रों को लेकर माफी की बात कह रही है, इस तरह के पत्र तो गांधीजी सहित अन्य ने भी लिखे थे