यूं चला मोल-भाव -पृथ्वीराज नगर व आस-पास के बड़े हिस्से में पेयजल तंत्र विकसित करने के लिए 854.21 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार हुआ। -इसमें जेडीए का हिस्सा राशि 316.50 करोड़ रुपए तय की गई। इसमें से 60 करोड़ रुपए जलदाय विभाग को दिए। इसके बाद बाकी राशि देने से मना किया।
-यहां से शुरू हुआ मोलभाव, मामला तत्कालीन यूडीएच व जलदाय मंत्री तक पहुंचा। बाकी 256.50 करोड़ रुपए देने के लिए कहा। -जेडीए ने मना किया तो फिर बैठकों का दौर चला। हिस्सा राशि घटाकर 129 करोड़ रुपए कर दी गई।
-कुछ माह पहले फिर जुटे तो वित्त विभाग के निर्देशन में 118 करोड़ रुपए राशि तय कर दी। सरकार ने बिगाड़ी गणित…933 रुपए प्रति वर्गगज का गेपफंड ही नहीं -1483 रुपए प्रति वर्गगज विकास शुल्क प्रस्तावित किया था पृथ्वीराज नगर नियमन के लिए
-550 रुपए प्रति वर्गगज विकास शुल्क जमा किया जा रहा है सरकार के निर्देश पर -933 रुपए प्रति वर्गगज का अंतर गहराया आवश्यक विकास शुल्क में (इस गणित के कारण विकास कार्य के कारण जितनी राशि आनी थी, वह नहीं आ पाई)
यह होना है काम पृथ्वीराज नगर के करीब 30 वर्ग किलोमीटर हिस्से में पेयजल लाइन बिछाई जानी है। 284 एमएलडी का मेन ट्रांसमिशन और 87.50 एमएलडी की वितरण प्रणाली विकसित की जाएगी। 42 किलोमीटर लम्बाई में 700 से 1600 एमएम व्यास की लाइन, 70 किलोमीटर में 200 से 450 एमएम व्यास की डीआई पाइपलाइन, 900 किलोमीटर में 110 से 225 एमएस व्यास की एचडीपीई पाइपलाइन होगी। वहीं, बालावाला, स्वर्ण विहार, वर्धमान सरोवर, शिव विहार, वेस्ट-वे हाइट, केशोपुरा, कनक वृंदावन, गोकुल नगर में पंपिंग स्टेशन का निर्माण होगा।
अभी यह व्यवस्था ज्यादातर इलाकों में निजी ट्यूबवेल, टैंकरों से सप्लाई की जा रही है। लोगों को निजी टैंकरों के लिए मुंह मांगे दाम देने पड़ रहे हैंं। विकास समितियों द्वारा संचालित पेयजल वितरण की स्थिति।
इन्हें निकालना है हल जेडीए- जेडीसी टी. रविकांत व अभियांत्रिकी निदेशक वी.एस. सुण्डा जलदाय विभाग- प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा