प्रदूषण बोर्ड के आंकड़े कहते हैं कि गंगा में 80% प्रदूषण सीवेज का पानी छोड़े जाने से हो रहा है। गंगा सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के कानपुर और वाराणसी में प्रदूषण का शिकार होती है। यमुना दिल्ली के महज दो फीसदी हिस्से को छूती है, पर उसमें 80% प्रदूषण वहीं से होता है। 22 किमी के दायरे में फैली यमुना में दिल्ली के 40 से ज्यादा नालों का पानी आता है। दिल्ली सरकार अब तक 200 करोड़ और केंद्र सरकार 1500 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च कर चुकी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार देश की 351 नदियां प्रदूषण का शिकार हैं। इनका पानी आचमन के लायक भी नहीं है। अगर आप इसको पीते हैं तो बीमार होने की आशंका है। इन नदियों में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह सीवेज ही है। महाराष्ट्र की 53 नदियां प्रदूषित हैं। इसके साथ ही यह राज्य देश में नंबर एक पर है। असम 44 प्रदूषित नदियों के साथ दूसरे और मध्यप्रदेश 22 प्रदूषित नदियों के साथ तीसरे नंबर पर है। उत्तराखंड की नौ नदियां प्रदूषण का शिकार हैं।
देश की पांच सबसे प्रदूषित नदियां
गंगा यमुना ब्रह्मपुत्र दामोदर बागमती (कोसी) हजारों करोड़ हुए खर्च, फिर भी सीवेज का पानी
2019 में लोकसभा में एक जवाब में सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत अब तक 16 राज्यों के 77 शहरों में 34 नदियों के प्रदूषित हिस्से को कवर किया है। इसके लिए 5,870.54 करोड़ बजट भी दिया गया। बावजूद इसके रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि नदियों में अभी भी सीवेज सीधे मिल रहा है।