scriptपॉलिथीन चारे के साथ पहुंच रही पेट में | Polythene reaching belly with fodder | Patrika News

पॉलिथीन चारे के साथ पहुंच रही पेट में

locationजयपुरPublished: Oct 23, 2019 05:18:16 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

गाय बकरियों की शामतपॉलिथीन चारे के साथ पहुंच रही पेट मेंमूक पशुओं के लिए खतरा पॉली बैगगाय के पेट से निकाली ५२ किलो प्लास्टिक

पॉलिथीन चारे के साथ पहुंच रही पेट में

पॉलिथीन चारे के साथ पहुंच रही पेट में

हमारी सुविधा के लिए इजाद किए गए पॉलिथीन बैग्स मूक जानवरों की मौत का कारण बन चुके हैं। हम प्लास्टिक की थैलियों में भर कर खाद्य सामग्री गली, सड़क और नालियों में फेंक देते हैं, जिन्हें पशु खा लेते हैं जो इन जानवरों की मौत की वजह बन जाती है। हाल ही में एक एेसा मामला चैन्नई से सामने आया है लेकिन वहां गाय का समय पर ऑपरेशन कर उसे बचा लिया गया। एक रिपोर्ट:
वीओ
अक्सर आपने देखा होगा कि खाने की तलाश में सड़क किनारे घूम रही गायें कुछ भी खा लेती हैं, चाहे वो खाने से भरा प्लास्टिक ही क्यों न हो। इसी से जुड़ा एक मामला तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में देखने को मिला है। यहां एक गाय के पेट से सर्जरी के जरिए 52 किलो प्लास्टिक निकाला गया है, जिसे वो खा गई थी। गाय की सर्जरी वेटनरी एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी में की गई। गाय के पेट में इतनी भारी मात्रा में प्लास्टिक होने की वजह से उसे दर्द होता था। साथ ही उसके दूध देना भी कम कर दिया था। गाय दर्द की वजह से अक्सर अपने ही पेट पर लात मारा करती थी, साथ ही उसे पेशाब करने और मल त्यागने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता था। गाय की सर्जरी करने में कुल पांच घंटे का समय लगा। सुबह 11 बजे से डॉक्टरों ने सर्जरी शुरू की, जो शाम के चार बजे तक चली। बताया जा रहा है कि सर्जरी में सिर्फ 140 रुपये ही खर्च हुए। डॉक्टरों के मुताबिक, 52 किलो प्लास्टिक जमा करने में गाय को करीब दो साल का समय लगा होगा।
जानवरों के लिए भी खतरा प्लास्टिक
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलनीस्वामी ने कहा कि मद्रास वेटनरी अस्पताल के डॉक्टरों ने छह साल की गाय के पेट से 52 किलो प्लास्टिक कचरा, सिरिंज की सुई, नाखून, सिक्के और भोजन को पैक करने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाली एल्युमिनियम फ्वॉइल को हटाया है। गाय का ऑपरेशन कर कचरे को हटाने वाले डॉक्टरों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने कहा कि गाय को उसके मालिक मुनिरत्नम द्वारा अस्पताल लाया गया था। उसकी शिकायत के अनुसार, ठीक से नहीं खाने के साथ.साथ वह गोबर और मूत्र उत्सर्जन में दिक्कत महसूस कर रही थी। पलनीस्वामी ने कहा कि गाय अब स्वस्थ है और ठीक से खा पी रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्लास्टिक केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी हानिकारक है।
प्लास्टिक के चलते 1000 जानवरों की मृत्यु
आपको बता दें कि वर्ष २०१७ में राजस्थान सरकार ने विधानसभा में एक रिपोर्ट पेश की थी जिसके मुताबिक चार साल में प्लास्टिक खाने से गायों सहित तकरीबन एक हजार जानवर काल का ग्रास बन चुके थे। खुले में फेंके गए प्लास्टिक बैग गाय, बकरी, कुत्तों सहित अन्य जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। इनमें बेकार सब्जियां और खाने पीने की वस्तुएं होने से मवेशी इन्हें खा लेते हैं। ये पन्नियां उनकी आंतों में फंसने लगती हैं और धीरे धीरे बड़े गोले का रूप ले लेती हैं। ज्यादातर गाय.बकरियों के इलाज के लिए समय ही नहीं बचता। उन्हें अस्पताल लाने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है। आए दिन इस तरह के केस अक्सर सामने आते रहते हैं।
पालतू पशुओं को खतरा कैसे ?
पशु चिकित्सकों के मुताबिक गाय के पेट में चार चेंबर होते हैं। पहले चेंबर रुमन में प्लास्टिक फंस जाने से वह आगे नहीं बढ़ पाता। झिल्लियां एक.दूसरे से लपेटकर एक ही जगह पर जम जाती हैं। ऐसे में मवेशियों के पेट की पाचन क्रिया बंद हो जाती है और वे बीमार हो जाते हैं और उनकी मौत तक हो जाती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो