जानवरों के लिए भी खतरा प्लास्टिक
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलनीस्वामी ने कहा कि मद्रास वेटनरी अस्पताल के डॉक्टरों ने छह साल की गाय के पेट से 52 किलो प्लास्टिक कचरा, सिरिंज की सुई, नाखून, सिक्के और भोजन को पैक करने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाली एल्युमिनियम फ्वॉइल को हटाया है। गाय का ऑपरेशन कर कचरे को हटाने वाले डॉक्टरों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने कहा कि गाय को उसके मालिक मुनिरत्नम द्वारा अस्पताल लाया गया था। उसकी शिकायत के अनुसार, ठीक से नहीं खाने के साथ.साथ वह गोबर और मूत्र उत्सर्जन में दिक्कत महसूस कर रही थी। पलनीस्वामी ने कहा कि गाय अब स्वस्थ है और ठीक से खा पी रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्लास्टिक केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी हानिकारक है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलनीस्वामी ने कहा कि मद्रास वेटनरी अस्पताल के डॉक्टरों ने छह साल की गाय के पेट से 52 किलो प्लास्टिक कचरा, सिरिंज की सुई, नाखून, सिक्के और भोजन को पैक करने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाली एल्युमिनियम फ्वॉइल को हटाया है। गाय का ऑपरेशन कर कचरे को हटाने वाले डॉक्टरों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने कहा कि गाय को उसके मालिक मुनिरत्नम द्वारा अस्पताल लाया गया था। उसकी शिकायत के अनुसार, ठीक से नहीं खाने के साथ.साथ वह गोबर और मूत्र उत्सर्जन में दिक्कत महसूस कर रही थी। पलनीस्वामी ने कहा कि गाय अब स्वस्थ है और ठीक से खा पी रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्लास्टिक केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी हानिकारक है।
प्लास्टिक के चलते 1000 जानवरों की मृत्यु
आपको बता दें कि वर्ष २०१७ में राजस्थान सरकार ने विधानसभा में एक रिपोर्ट पेश की थी जिसके मुताबिक चार साल में प्लास्टिक खाने से गायों सहित तकरीबन एक हजार जानवर काल का ग्रास बन चुके थे। खुले में फेंके गए प्लास्टिक बैग गाय, बकरी, कुत्तों सहित अन्य जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। इनमें बेकार सब्जियां और खाने पीने की वस्तुएं होने से मवेशी इन्हें खा लेते हैं। ये पन्नियां उनकी आंतों में फंसने लगती हैं और धीरे धीरे बड़े गोले का रूप ले लेती हैं। ज्यादातर गाय.बकरियों के इलाज के लिए समय ही नहीं बचता। उन्हें अस्पताल लाने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है। आए दिन इस तरह के केस अक्सर सामने आते रहते हैं।
आपको बता दें कि वर्ष २०१७ में राजस्थान सरकार ने विधानसभा में एक रिपोर्ट पेश की थी जिसके मुताबिक चार साल में प्लास्टिक खाने से गायों सहित तकरीबन एक हजार जानवर काल का ग्रास बन चुके थे। खुले में फेंके गए प्लास्टिक बैग गाय, बकरी, कुत्तों सहित अन्य जीवों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। इनमें बेकार सब्जियां और खाने पीने की वस्तुएं होने से मवेशी इन्हें खा लेते हैं। ये पन्नियां उनकी आंतों में फंसने लगती हैं और धीरे धीरे बड़े गोले का रूप ले लेती हैं। ज्यादातर गाय.बकरियों के इलाज के लिए समय ही नहीं बचता। उन्हें अस्पताल लाने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है। आए दिन इस तरह के केस अक्सर सामने आते रहते हैं।
पालतू पशुओं को खतरा कैसे ?
पशु चिकित्सकों के मुताबिक गाय के पेट में चार चेंबर होते हैं। पहले चेंबर रुमन में प्लास्टिक फंस जाने से वह आगे नहीं बढ़ पाता। झिल्लियां एक.दूसरे से लपेटकर एक ही जगह पर जम जाती हैं। ऐसे में मवेशियों के पेट की पाचन क्रिया बंद हो जाती है और वे बीमार हो जाते हैं और उनकी मौत तक हो जाती है।
पशु चिकित्सकों के मुताबिक गाय के पेट में चार चेंबर होते हैं। पहले चेंबर रुमन में प्लास्टिक फंस जाने से वह आगे नहीं बढ़ पाता। झिल्लियां एक.दूसरे से लपेटकर एक ही जगह पर जम जाती हैं। ऐसे में मवेशियों के पेट की पाचन क्रिया बंद हो जाती है और वे बीमार हो जाते हैं और उनकी मौत तक हो जाती है।