वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स विश्व प्रसन्नता दिवस (20 मार्च 2019) पर सतत् विकास समाधान नेटवर्क (
SDSN ) की वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट-2019 में 156 देशों में भारत का स्थान 140वां रहा। इस इंडेक्स में सबसे खुशहाल देशों में अपेक्षाकृत छोटा देश फिनलैंड लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष पर रहा। सूची में दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: डेनमार्क एवं नॉर्वे हैं। भारत का स्थान 140वां रहा, जो पिछले वर्ष से 7 स्थान नीचे था। और तो और, पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्याँमार को क्रमश: 67, 93, 154, 100, 95, 125, 130 और 131वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। भारत खुशहाल देशों की रैंकिंग में पिछले सात साल से लगातार पिछड़ता जा रहा है। इस सूची में भारत की रैंकिंग सात साल में 2013 में 111, 2016 में 118, 2017 में 122, 2018 में 133 और 2019 में 140 वीं रही।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भी लगातार पिछड़ता जा रहा है। वर्ष 2014 में भारत 99वें स्थान पर था, तो वर्ष 2015 में 93वें स्थान पर पहुंच गया। फिर स्थिति बिगड़ी और साल 2016 में 97वें और 2017 में 100वें पायदान तक लुढ़क गया। वर्ष 2018 में तो और लुढ़क कर 103वें स्थान पर रहा। बता दें इस सूचकांक में पड़ोसी देशों में चीन ( China ) 25वें, बांग्लादेश 86वें, नेपाल 72वें, श्रीलंका 67वें और म्यामांर 68वें स्थान पर हैं। जाहिर है, कई छोटे देश भी आगे निकल गए। अलबत्ता, पाकिस्तान ( Pakistan ) भारत से तीन स्थान पीछे रहा, उसे 106वां स्थान मिला है।
महिला सुरक्षा जून 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की ओर से जारी किए गए एक सर्वे में महिलाओं के प्रति यौन हिंसा, मानव तस्करी और यौन व्यापार में धकेले जाने के आधार पर भारत को महिलाओं के लिए टॉप टेन देशों में खतरनाक आंका गया। विश्व के 550 विशेषज्ञों के द्वारा किए गए इस सर्वे में अफगानिस्तान दूसरे, सीरिया तीसरे, सोमालिया चौथे और सउदी अरब पांचवें स्थान आंके गए। इस सर्वे में 193 देशों को शामिल किया गया था, जिनमें से महिलाओं के लिए बदतर शीर्ष 10 देशों का चयन किया गया। राजधानी दिल्ली में वर्ष 2011 में हुए निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा और उनके ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा देश में भारी मुद्दा बना था। फिर भी सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2007 से 2016 के बीच महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध में 83 फीसदी का इजाफा हुआ है। और तो और, देश में प्रत्येक घंटे में 4 बलात्कार के मामले दर्ज किए जाते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारें महिला सुरक्षा के प्रति कितनी गंभीर हैं। इस सूची में पाकिस्तान छठे और अमेरिका दसवें स्थान पर है। हाल ही, उन्नाव (
unnav ) और जयपुर (
Jaipur ) में बलात्कार पीड़िताओं के हश्र ने महिला सुरक्षा पर मिली रैंकिंग पर मानो मुहर ही लगा दी है।
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक जनवरी 2019 में जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2018 में भारत ने 41 अंक हासिल कर 180 देशों में 78वां स्थान पर रहा, जबकि वर्ष 2017 के में 40 अंक के साथ 81वें स्थान पर था। बता दें वर्ष 2016 में भारत इस सूचकांक में 79वें स्थान पर था। जाहिर है, भ्रष्टाचार के मामले में कुछ सुधार हुआ, लेकिन इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता, खासकर तब जब केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए ( NDA ) के नेताओं ने सत्ता में आते ही भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के दावे किए थे।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक अप्रेल 2019 में जारी प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की रैंकिंग दो पायदान और गिरी। भारत 2018 में जारी रिपोर्ट में 180 देशों में जहां 138वें स्थान पर था, वहीं इस रिपोर्ट में 140वां स्थान हासिल कर सका। यह रिपोर्ट फ्रांस का गैर लाभकारी संगठन ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ जारी करता है। इसमें प्रेस फ्रीडम इंडेक्स नॉर्वे शीर्ष पर रहा, जबकि फिनलैंड दूसरे स्थान पर आंका गया। कतिपय लोग तसल्ली इस बात पर जता सकते हैं कि इस सूची में पाकिस्तान 142वें और बांग्लादेश 150वें स्थान पर है, जो भारत से पीछे है। अब जब आरटीआई एक्ट में संशोधनों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, तो प्रेस की स्वतंत्रता की यह रैंकिंग भी सोचनीय है।
जाहिर है, भारत को विश्व में अग्रणी, खासकर विश्वगुरु बनने के दावों में कहीं सत्य की झलक दिखानी है तो राजनीतिक हित-अहित से उठकर कई क्षेत्रों में पूरी ईमानदारी से प्रयास करने की दरकार है। इसके लिए राजनीतिक ही नहीं, नैतिक इच्छा शक्ति भी दिखानी होगी, वर्ना स्थिति विकट से विकटतर बन सकती है।