देश में फिलहाल पोटाश को विदेश से आयात किया जा रहा है जिसके चलते देश पर बड़ा आर्थिक बोझ आता है, क्योंकि पोटाश का सबसे ज्यादा उपयोग कृषि में किसानों की ओर से किया जाता है।
प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता व खान विभाग के प्रधान सचिव गौरव गोयल ने शुक्रवार को बीकानेर हाउस में जीएसआइ व केंद्र सरकार के खनन विभाग अधिकारियों और खनन से जुड़े निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर प्रदेश में 8 चिह्नित पॉइंट्स पर पोटाश निकालने की प्रक्रिया पर चर्चा की।
बैठक में तय किया गया कि 15 दिनों में इस सम्बंध में खान विभाग, एमएसईएल और आरएसएमएम एमओयू कर लेगा। प्रदेश सरकार ने अगले वर्ष मई माह तक इकोनॉमिक फिजिबलिटी, टेक्नीकल और जियोलॉजिकल स्टडी के बाद ऑक्शन का कार्य शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बैठक के बाद डीबी गुप्ता ने बताया कि राजस्थान में पोटाश निकलने का कार्य अगर सफल हो जाता है तो यह बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा। फिलहाल इसे विदेश से हजारों करोड़ रुपये खर्च कर आयात किया जा रहा है।
जीएसआई की रिपोर्ट में प्रदेश में बड़ी मात्रा में पोटाश होने की जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि पोटाश 200 से 400 मीटर की गहराई में पाया गया है लेकिन अगर तीनों स्टडी सफल रहती है तो प्रदेश को इससे हजारों करोड़ के राजस्व का लाभ हो सकता है।