उदय योजना के तहत लिया गया 60,000 करोड़ का कर्जा भी होता दिख रहा बेअसर
हालात ऐसे हैं कि नौकरशाही के मकडज़ाल में उलझी बिजली कंपनियों में चल रही उठापटक कर्ज में डूबी बिजली कंपनियों के सूरज को उदय होने से पूरी तरह रोक रही है। कहने को तो बिजली कंपनियों को कॉर्पोरेट स्टाइल में चलाने की बात की जा रही है लेकिन हालात ऐसे हैं कि एक इंजीनियर को हटाने पर एमडी को मंत्रियों, विधायाकों तक का भारी दवाब झेलना पडता है।
उठापटक ने उजागर किया उदय का सच
जयपुर डिस्कॉम के एमडी एके बोहरा और टेक्नीकल डायरेक्टर के इस्तीफे ने उदय के सच को उजागर कर दिया। जहां बीते आठ महीने से जहां एमडी बोहरा का पूरा फोकस बिजली चोरी, छीजत को रोकने पर था। लेकिन हाल के घटनाक्रम ने बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के प्रयासों को झटका लगने की आशंका है।
सिर्फ शक्ल बदली हालात सरकारी ढर्रे जैसे
कहने को तो बिजली कंपनियों को कॉर्पोरेट स्टाइल में चलाने की बात की जा रही है। लेकिन हालात आज भी सरकारी ढर्रे की तरह चल रहे हैं। बिजली चोरी, राजस्व घाटा व अन्य अनियमितताएं होने पर एमडी अगर किसी इंजिनियर का तबादला करता है या चार्जशीट देता है तो उसे बचाने के लिए मंत्री, विधायक सांसद तक का दबाव आने लगता है। प्रदेश की एक भी बिजली कंपनी पूरी तरह से ऑनलाइन नहीं है।