script80,000 Cr से ज्यादा के घाटे से जूझ रही बिजली कंपनियों को उबारने में ‘उदय’ के भी डूबने का संकट | Power companies battling to losses in rajasthan [news & video] | Patrika News

80,000 Cr से ज्यादा के घाटे से जूझ रही बिजली कंपनियों को उबारने में ‘उदय’ के भी डूबने का संकट

locationजयपुरPublished: Apr 19, 2017 07:51:00 pm

Submitted by:

vijay ram

देश के सबसे बड़े राज्य में घाटे से जूझ रही बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए उदय योजना के तहत लिया गया 60 हजार करोड़ का कर्जा भी बिजली कंपनियों को उजाला देने में असफल होता नजर आ रहा है। डिस्कॉम के घमासान में…

news & Photos rajasthan

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राजस्थान में 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घाटे से जूझ रही बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए उदय के तहत लिया गया 60 हजार करोड़ का कर्जा भी बिजली कंपनियों को उजाला देने में असफल होता नजर आ रहा है।

उदय योजना के तहत लिया गया 60,000 करोड़ का कर्जा भी होता दिख रहा बेअसर

हालात ऐसे हैं कि नौकरशाही के मकडज़ाल में उलझी बिजली कंपनियों में चल रही उठापटक कर्ज में डूबी बिजली कंपनियों के सूरज को उदय होने से पूरी तरह रोक रही है। कहने को तो बिजली कंपनियों को कॉर्पोरेट स्टाइल में चलाने की बात की जा रही है लेकिन हालात ऐसे हैं कि एक इंजीनियर को हटाने पर एमडी को मंत्रियों, विधायाकों तक का भारी दवाब झेलना पडता है।

उठापटक ने उजागर किया उदय का सच
जयपुर डिस्कॉम के एमडी एके बोहरा और टेक्नीकल डायरेक्टर के इस्तीफे ने उदय के सच को उजागर कर दिया। जहां बीते आठ महीने से जहां एमडी बोहरा का पूरा फोकस बिजली चोरी, छीजत को रोकने पर था। लेकिन हाल के घटनाक्रम ने बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के प्रयासों को झटका लगने की आशंका है।

सिर्फ शक्ल बदली हालात सरकारी ढर्रे जैसे
कहने को तो बिजली कंपनियों को कॉर्पोरेट स्टाइल में चलाने की बात की जा रही है। लेकिन हालात आज भी सरकारी ढर्रे की तरह चल रहे हैं। बिजली चोरी, राजस्व घाटा व अन्य अनियमितताएं होने पर एमडी अगर किसी इंजिनियर का तबादला करता है या चार्जशीट देता है तो उसे बचाने के लिए मंत्री, विधायक सांसद तक का दबाव आने लगता है। प्रदेश की एक भी बिजली कंपनी पूरी तरह से ऑनलाइन नहीं है।
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