ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि भौम प्रदोष पर व्रत रखकर पूजा करने से खास तौर पर कर्ज से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत के दिन गंगाजल से शिवाभिषेक कर शिवलिंग पर बेलपत्र, मदार, धतूरा, भांग आदि अर्पित करना चाहिए। इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप, शिव चालीसा तथा शिव पुराण का पाठ करना भी त्वरित फलदायी माना जाता है। इससे शिवकृपा से सुख—समृद्धि मिलती है।
पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 जनवरी दिन सोमवार को देर रात 12 बजकर 24 मिनट पर प्रारंभ हुई थी। त्रयोदशी तिथि 26 जनवरी को देर रात 01 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। इस प्रकार 26 जनवरी को दिनभर त्रयोदशी तिथि रहेगी और प्रदोष काल में भी त्रयोदशी तिथि ही रहेगी। भौम प्रदोष व्रत रखनेवालों को दिनभर उपवास रखकर शाम को पूजा करना चाहिए और व्रत कथा जरूर पढ़ना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार प्रदोष व्रत में शिव परिवार की पूजा प्रदोष काल में ही करने का महत्व है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पूर्व का समय होता है। 26 जनवरी को भौम प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शाम को 05 बजकर 56 मिनट से रात 08 बजकर 35 मिनट तक का समय है। इस प्रकार शिवपूजा के लिए करीब 2 घंटे 39 मिनट की अवधि मिल रही है।