GURU NANAK JAYANTI तिब्बत और लद्दाखवालों के लिए लामा हैं गुरुनानक देवजी, जानें वे किन देशों में गए उपदेश देने
कार्तिक पूर्णिमा पर सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देवजी की जयंती भी मनाई जाती है। गुरूनानक देवजी ने जिंदगीभर समाज मेें व्याप्त बुराइयों को दूर कर वंचितों के जीवन में प्रकाश लाने का काम किया था। यही कारण है कि उनका जन्मदिवस प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुरूनानक देवजी के उपदेशों पर अमल करने के कारण ही पूरी दुनिया में सिखों को बहादुर और सेवाभावी कौम के रूप में सम्मानपूर्वक देखा जाता है।

जयपुर. कार्तिक पूर्णिमा पर सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देवजी की जयंती भी मनाई जाती है। गुरूनानक देवजी ने जिंदगीभर समाज मेें व्याप्त बुराइयों को दूर कर वंचितों के जीवन में प्रकाश लाने का काम किया था। यही कारण है कि उनका जन्मदिवस प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुरूनानक देवजी के उपदेशों पर अमल करने के कारण ही पूरी दुनिया में सिखों को बहादुर और सेवाभावी कौम के रूप में सम्मानपूर्वक देखा जाता है।
गुरुनानकजी की जयंती पर सिख सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं और दिनभर गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यहां शबद-कीर्तन का आयोजन किया जाता है और लंगर भी किया जाता है। गुरु नानकजी के उपदेशों से परिपूर्ण ग्रंथ गुरूग्रंथ साहिब यानि गुरुवाणी का पाठ किया जाता है। गुरु नानकदेव जी का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब के ननकाना साहिब में हुआ था। पाकिस्तान के ही करतारपुर की एक धर्मशाला में उनकी मृत्यु हुई।
गुरुनानकजी ने सिख धर्म के स्थापना की और इस तरह वे इस समुदाय के पहले गुरु बने। उन्होंने मानवता की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया। इसके लिए उन्होंने भारत से बाहर जाकर दूसरे देशों जैसे अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए। गुरूनानकदेव जी को बाबा नानक और नानकशाह भी कहा जाता है। उन्हें तिब्बत में नानक लामा कहा जाता है। लद्दाख में भी गुरुनानकजी नानक लामा के ही नाम से जाने जाते हैं।
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