यूं अटकाए जा रहे हैं पट्टे कृषि भूमि जो बाद में आबादी भूमि होने के कारण सिवायचक में दर्ज हो गई, उसका नियमन कई निकायों ने अटका दिया है। निकायों का तर्क है कि भूमि सिवायचक होने के कारण पट्टा नहीं दे सकते। जिन जमीनों का कभी नगर सुधार न्यास अधिनियम की धारा 32 के तहत अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन बाद में निकायों ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की, ऐसी जमीनों को अपनी योजना बताकर नियमन को लेकर निकाय आनाकानी कर रहे हैं।
नियमन की राह यूं की जाएगी आसान -सरकार स्पष्ट करेगी कि 31 दिसंबर 2018 की कट ऑफ डेट संपत्ति के रहवास अथवा उसके उपयोग की है -रहवास और कब्जे के सबूत के तौर पर आवेदक जो दस्तावेज पेश करेगा वे इस कट ऑफ डेट तक के होने चाहिए
-इस कट ऑफ डेट के बाद की तिथि में रजिस्ट्री के माध्यम से संपत्ति का बेचान हुआ है तो खरीदार को पट्टा दिया जा सकता है -कोई भूमि पहले कृषि भूमि थी लेकिन सेटलमेंट विभाग ने उसे आबादी भूमि मानी और वह भूमि राजस्व रिकॉर्ड में सिवायचक दर्ज है
-तो ऐसी भूमि का पट्टा जारी किया जा सकता है,क्योंकि भूमि मूलत: कृषि भूमि है जो कि राजस्व रिकॉर्ड में खातेदारी में दर्ज थी -किसी भूमि का पहले नगर सुधार न्यास अधिनियम की धारा 32 के तहत अधिसूचना जारी हुई है
-लेकिन अधिसूचना जारी होने के बाद निकाय ने आगे कोई कार्यवाही नहीं की और वह अधिसूचना लैप्स हो गई -तो ऐसी जमीनों के भी प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे जारी किए जा सकते हैं