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मीसाबंदियों पर बोले खाचरियावास, ‘राजनीतिक लड़ाई लड़ने वालों को किस बात की पेंशन’

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2019 07:40:26 pm

Submitted by:

firoz shaifi

देश में आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से दी जा रही मीसा बंदी पेंशन को बंद करने के कांग्रेस सरकार के फैसले के बाद अब इस मुद्दे पर सियासत भी खूब हो रही है।

जयपुर। देश में आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से दी जा रही मीसा बंदी पेंशन को बंद करने के कांग्रेस सरकार के फैसले के बाद अब इस मुद्दे पर सियासत भी खूब हो रही है।
विपक्षी दल भाजपा ने जहां इस मुद्दे पर विरोध करते हुए कहा कि इसे लोकतंत्र सेनानियों का अपमान बताया तो वहीं कांग्रेस नेताओं के अपने तर्क हैं। राज्य के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि यह एक राजनीतिक निर्णय था जिसे लेने का हक हर राजनीतिक पार्टी का होता है।
अगर देश के स्वतंत्रता सेनानी की बात हो तो उसका सम्मान हर कोई करता है, लेकिन केवल राजनीतिक फायदा पहुंचाने वाला यह निर्णय था जिसके चलते राजस्थान कैबिनेट ने इस निर्णय को बदल दिया।
वहीं परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि इमरजेंसी केवल एक राजनीतिक लड़ाई थी जिसके फलस्वरूप भाजपा की सरकार भी बनीं और इमरजेंसी की लड़ाई का उन्होंने फायदा भी ले लिया। खाचरियावास ने कहा कि इस आंदोलन को करने वाले नेता मंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य पदों पर रहे। आज भी इमरजेंसी के नाम पर पेंशन उठा रहे हैं।
परिवाहन मंत्री ने कहा कि क्या इनको इसमें शर्म नहीं आनी चाहिए कि इमरजेंसी की लड़ाई जो महज एक राजनीतिक लड़ाई थी ना कि आजादी की लड़ाई। पेंशन सरकार की ओर से गरीब जरूरतमंद तबकों को दी जाती है ना कि इस तरीके के राजनीतिक लड़ाई लड़ने वालों को।
बता दें कि प्रदेश के 1120 मीसा बंदियों को पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देते हुए मीसा बंदियों और उनकी विधवाओं को 20 हजार रुपए मासिक पेंशन और यात्रा भत्ता और मेडिकल की सुविधा देती थी। सोमवार को गहलोत कैबिनेट ने मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन पर रोक लगा दी।
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