मौसम विभाग के सूत्रों की मानें तो ग्लोबल वॉर्मिंग और लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के कारण जहां एक और औसत तापमान में बढ़ोतरी हो रही है वहीं दूसरी तरफ हवा में घट रही नमी अगले महीने मौसमी हलचलों को भी प्रभावित कर सकती है। मौसम विशेषज्ञों ने हवा में मौजूद नमी में हो रहे उतार चढ़ाव के कारण जून में शुरू होने वाले मानसून पूर्व की हलचल सुस्त रहने का अंदेशा जता दिया है। देश के पश्चिमोत्तर हिस्से यानि दिल्ली से लेकर पश्चिमी पाकिस्तान क्षेत्र में जून माह में भी भीषण गर्मी का दौर बने रहने और दिन में पारा 42 से 48 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड होने की संभावना है। ऐसे में पश्चिमोत्तर हिस्सों में प्रदेश का उत्तर पश्चिमी इलाका भी इस बार जून माह में भट्टी की तरह तपने वाला है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मई— जून माह में हवा में 30 से 50 फीसदी नमी मौजूद रहती है। इस दौरान दक्षिण से आने वाली समुद्री हवाएं नमी बढ़ाती है जिसके असर से बादलों की आवाजाही और मेघगर्जन के साथ छिटपुट बारिश का दौर मई के अंत तक शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार सतही गर्म हवाएं चलने व हवा का रुख उत्तर पश्चिमी रहने के कारण हवा में नमी घटकर 10 से 20 फीसदी ही दर्ज हो रही है जो गर्मी के तेवर तीखे करने में एक बड़ा कारण साबित हो रही है।