दरअसल, केन्द्र सरकार प्री मैट्रिक छात्रवृति के तहत कक्षा 1 से 10वीं तक के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को अब तक छात्रवृति दे रही थी। लेकिन अब इसमें 1 से 8वीं तक के बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक यदि ये छात्रवृति जारी होती तो प्रदेश के बच्चों को करीब 50 करोड़ रूपए मिलते। इस पूरे मामले को लेकर प्रदेश के अल्पसंख्यक समाज में केन्द्र सरकार के प्रति रोष भी देखा जा रहा है।
प्रदेश के 3300 मदरसों के बच्चे भी हुए वंचित इस फैसले का असर राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त करीब 3300 मदरसों पर भी पड़ेगा। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब तक इस योजना का फायदा उठा रहे थे। राजस्थान के मदरसा संचालकों में भी इस फैसले को लेकर रोष है। बात जयपुर की हो तो जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शकील अहमद के मुताबिक यहां करीब 15 हजार बच्चे छात्रवृत्ति से वंचित हो जाएंगे।
इनका कहना है… फैसला वापस ले सरकार केन्द्र सरकार का ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, जो बच्चे प्रायवेट स्कूलों में फीस भरते हैं और छात्रवृति की मदद से पढ़ते हैं, उनका अब क्या होगा। आवेदन कर चुके बच्चे पैसे आने की उम्मीद पर थे। सरकार ये फैसला वापस ले।
आरिफ आजाद, महासचिव
माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन वेलफेयर सोसायटी
बच्चों को झटका लगा है… केन्द्र सरकार की ओर से अचानक एक नोटिस जारी हुआ और 1-8वीं तक के छात्रवृति के आवेदन निरस्त कर दिए गए। इससे प्रदेश के करीब डेढ़ लाख अल्पसंख्यक बच्चों को झटका लगा है। जिम्मेदार अधिकारियों से नोटिस में कहा गया है कि प्री मैट्रिक छात्रवृति के तहत अब केवल 9वीं-10वीं के आवेदन सत्यापित कर आगे भेजे जाएं। मामले को राजस्थान सरकार के संज्ञान में भेज रहे हैं।
जमील अहमद कुरैशी
निदेशक, राजस्थान अल्पसंख्यक विभाग …………..