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बच्चे में देरी से धडक़न आने का कारण भी हो सकता पीसीओडी

locationजयपुरPublished: Apr 17, 2021 08:00:49 pm

Submitted by:

Archana Kumawat

कई बार किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण देर से धडक़न आती है। ऐसे में घबराएं नहीं, डॉक्टर के परामर्श का पूरी तरह पालन करें।

बच्चे में देरी से धडक़न आने का कारण भी हो सकता पीसीओडी

बच्चे में देरी से धडक़न आने का कारण भी हो सकता पीसीओडी

प्रेग्नेंसी के पांच से आठ सप्ताह के बीच बच्चे की धडक़न आ जाती है और बच्चे का हृदय 120 से 150 धडक़न प्रति मिनट की दर से धडक़ने लगता है। कई बार किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण देर से धडक़न आती है। ऐसे में घबराएं नहीं, डॉक्टर के परामर्श का पूरी तरह पालन करें।
आमतौर पर छठे सप्ताह के अल्ट्रासाउंड स्कैन में बच्चे की धडक़न सुनाई देने लगती है। कुछ मामलों में गर्भावस्था के सातवें सप्ताह तक भी धडक़न सुनाई नहीं देती है। कई बार गर्भावस्था की जेस्टेशनल ऐज गलत हो सकती है। इसके अलावा पीसीओडी के कारण देर से अंडे बनना या पिछले पीरियड्स की सही तारीख ध्यान में न होने से भी प्रेग्नेंसी के सही सप्ताह का पता नहीं लग पाता है। ऐसी स्थिति में तुरंत निर्णय लेना सही नहीं है। करीब 10-12 दिन बाद डॉक्टर की सलाह से दूसरी जांच करवाएं।

दो जांच पर लें निर्णय
यदि एक जांच में धडक़न सुनाई नहीं देती है तो इसे मिसकैरेज का संकेत मानना जल्दबाजी होगी। ५० फीसदी मामलों में दूसरी जांच तक धडक़न आ जाती है।

दिनचर्या में बदलाव
यदि गर्भस्थ शिशु मेें देर तक धडक़न नहीं आई और फिर स्वत: ही गर्भपात हो जाए तो डॉक्टर की सलाह से हार्मोंस या अन्य जांच करवाकर इलाज लें। साथ ही मोटापा कम करें और पीसीओडी को नियंत्रित रखें। अत्यधिक मीठे और वसायुक्त चीजों को खाने से बचें। घर पर बना ताजा भोजन ही करें। दिनचर्या में नियमित व्यायाम को शामिल करें।

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