दो जांच पर लें निर्णय
यदि एक जांच में धडक़न सुनाई नहीं देती है तो इसे मिसकैरेज का संकेत मानना जल्दबाजी होगी। ५० फीसदी मामलों में दूसरी जांच तक धडक़न आ जाती है।
दिनचर्या में बदलाव
यदि गर्भस्थ शिशु मेें देर तक धडक़न नहीं आई और फिर स्वत: ही गर्भपात हो जाए तो डॉक्टर की सलाह से हार्मोंस या अन्य जांच करवाकर इलाज लें। साथ ही मोटापा कम करें और पीसीओडी को नियंत्रित रखें। अत्यधिक मीठे और वसायुक्त चीजों को खाने से बचें। घर पर बना ताजा भोजन ही करें। दिनचर्या में नियमित व्यायाम को शामिल करें।