माना जा रहा है कि 30 से 40 आईएएस अफसरों की तबादला सूची जल्द ही जारी हो सकती है। तबादला सूची को लेकर मंथन चल रहा है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का प्रयास यही है कि मंत्रियों की पसंद के हिसाब से ही विभागों में अधिकारियों की नियुक्ति की जाए जिससे कि मंत्री और अधिकारियों के बीच टकराव के हालात न बने।
मंत्रिपरिषद की बैठक में भी हुई थी मुख्यमंत्री से मांग
दऱअसल मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद हाल ही में हुई मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में भी सभी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपनी अपनी पसंद के अधिकारियों को ही विभागों में लगाने की मांग की थी, जिस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी सहमित दे दी थी और उसी के बाद से नौकरशाही में फिर से बदलाव की तैयारी शुरू हो गई थी। बताया जा रहा है कि दिसंबर माह के पहले या फिर दूसरे सप्ताह में आईएएस अफसरों की बड़ी तबादला सूची सामने आ सकती है। आईएएस अफसरों के साथ साथ आईपीएस और आरएएस अधिकारियों की भी सूची सामने आ सकती है।
पहले भी हो चुके हैं मंत्रियों और अफसरों में विवाद
गहलोत सरकार के मंत्रियों और अफसरों में पहले भी कामकाज को लेकर विवाद हो चुके हैं। ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि इस बार कोई विवाद हो और तालमेल के जरिए विभागों का कामकाज निपटाया जाए।
पूर्व में यह अधिकारी रह चुके हैं मंत्रियों के निशाने पर
दरअसल पूर्व में जो आईएएस अधिकारी मंत्रियों के निशाने पर रहे हैं उनमें राजेश्वर सिंह, समित शर्मा, राजेश यादव, दिनेश कुमार, यज्ञ मित्र सिंह देव, डॉ कुंज बिहारी पांडेय, हिमांशु गुप्ता, मुग्धा सिन्हा, श्रेया गुहा, नरेश पाल गंगवार, मंजू राजपाल को मंत्रियों से तनातनी के चलते उनके तबादले किए गए थे।
मुख्यमंत्री भी नहीं चाहते टकराव
इधर मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद मंत्रियों की ओर से अपनी पसंद के अधिकारियों को ही विभागों में लगाने की मांग पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी सहमत हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहतें हैं कि सरकार के कार्यकाल का 2 साल का समय बचा है, उसमें से भी केवल डेढ़ साल तक ही जनहित से जुड़े काम होने हैं।
ऐसे में सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और फ्लैगशिप योजनाओं को बिना किसी रूकावट के आमजन तक पहुंचाया जाए जिससे कि उनका लाभ चुनाव मिल सके। अगर विभागों में मंत्रियों की पसंद के अफसर नहीं लगेंगे तो फिर पूर्व की भांति ही मंत्रियों और अधिकारियों के बीच तनातनी बढ़ेगी, जिससे कि कामकाज प्रभावित भी होगा और सरकार का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पाएगा।
ऐसे में मंत्रियों के पसंद के अफसरों को ही उनके विभागों में लगाने की तैयारी है। गौरतलब है कि 21 नवंबर को हुए मंत्रिमंडल पुनर्गठन में 15 नए मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई थी, जिसमें अब गहलोत मंत्रिमंडल में कोई स्थान रिक्त नहीं है, सभी 30 पद भरे जा चुके हैं।