नई व्यवस्था में अंग्रेजी शराब दुकानों की तर्ज पर सभी दुकानों को कम्पोजिट कर एक-एक की ई-नीमाली की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक इस बार दुकानों की ई-नीलामी इस्पात मंत्रालय के एमएसटीसी पोर्टल या अन्य ऑनलाइन पोर्टल से की जा सकती है।
राजस्व आय में आबकारी विभाग लक्ष्य से भले ही पीछे चल रहा है लेकिन गत वर्ष के मुकाबले दिसंबर तक ही करीब 800 करोड़ अधिक मिल चुके हैं। इसके बावजूद विभाग राजस्व और बढ़ाने के प्रयासों में जुटा है। सूत्रों के अनुसार अभी लक्ष्य 12500 करोड़ है, जिसे नई नीति में 14000 से 15000 करोड़ तक किया जा सकता है।
1000 दुकानें अंग्रेजी शराब की
1191 देशी दुकानें शहरी क्षेत्र में
6600 दुकानें देशी शराब की
206 दुकानें अंग्रेजी और 300 दुकानें देशी शराब की हैं जयपुर में ठेकेदारों का तर्क
इधर, नई नीति की जानकारी मिलने पर ठेकेदार विरोध में आ गए हैं। ठेकेदारों का तर्क है कि 5000 और 50 रुपए की शराब खरीदने वाले एक ही जगह आकर खड़े होंगे तो दिक्कतें आएंगी। कारोबार प्रभावित होगा। नीति में दो साल के लिए प्रावधान किए गए तो एक साल बाद ही नई नीति क्यों लाई जा रही है।