देश में मार्बल आयात की तय सीमा से प्रतिबंध हटाने की केन्द्र सरकार की कवायद से प्रदेश का मार्बल उद्योग संकट में आ गया है
सुनील सिंह सिसोदिया
जयपुर. देश में मार्बल आयात की तय सीमा से प्रतिबंध हटाने की केन्द्र सरकार की कवायद से प्रदेश का मार्बल उद्योग संकट में आ गया है। देश में 90 फीसदी से अधिक मार्बल का उत्पादन राजस्थान से होता है। अभी तक मार्बल आयात की सीमा 8 लाख टन है। इस पर आयात शुल्क भी लगता है। इससे कालेधन के इस्तेमाल की रिपोर्ट देश की प्रमुख जांच एजेंसी रॉ व अन्य ने केन्द्र सरकार को दी है। इसके बाद केन्द्र ने देश में मार्बल आयात से शुल्क व सभी प्रकार के प्रतिबंध हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। केन्द्र सरकार से इस संबंध में मिले पत्र के बाद राज्य सरकार की नींद उड़ गई है। खास बात यह है कि अभी तय सीमा में उच्च क्वालिटी का ही मार्बल आयात किए जाने से प्रदेश के एक-दो बड़े ग्रुुप का ही एकाधिकार है।
राज्य में मार्बल की 3000 से अधिक खानें हैं और देश का 90 फीसदी खनन यहां हो रहा है। 10 फीसदी मध्य प्रदेश से निकल रहा है। ऐसे में राजस्थान सरकार ने केन्द्र सरकार पर प्रदेश के मार्बल उद्योग को बचाए रखने के लिए मार्बल आयात नीति लागू करा रखी है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन को 14 जून 2015 को मार्बल आयात नीति लागू रखने को लेकर पत्र लिखा था।
इस पर मंत्री ने सहमति भी जता दी थी। लेकिन हाल ही में केन्द्र सरकार को रॉ व अन्य कुछ जांच एजेंसियों ने मार्बल आयात में कालेधन के बड़े स्तर पर इस्तेमाल होने की रिपोर्ट देते हुए आयात से शुल्क सहित सभी प्रकार की बंदिशें हटाने की सिफारिश की है। इस आधार पर केन्द्र ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है। इसके बाद देशभर के खान सचिवों की 3 दिसंबर 2015 को दिल्ली में बैठक में राज्य के प्रमुख खान सचिव दीपक उप्रेती व उद्योग आयुक्त अभय कुमार ने राज्य का पक्ष भी रखा। लेकिन अभी तक केन्द्र से राज्य सरकार को कोई जबाव नहीं मिला है। हालांकि मुख्य सचिव सीएस राजन ने भी केन्द्र सरकार को आयात नीति में कोई बदलाव नहीं करने को लेकर पत्र लिखा है।
तीन देशों से आ रहा मार्बल
देश में मुख्य रूप से इटली, ईरान व वियतनाम से मार्बल आयात हो रहा है। इन देशों का मार्बल क्वालिटी में हमारे मार्बल से बेहतर है। खान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक देश में पिछले वित्तीय वर्ष तक उच्च क्वालिटी का 6 लाख टन ही मार्बल आयात हो सकता था, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में इसकी सीमा बढ़ाकर 8 लाख टन कर दी गई थी। इसके अलावा यह भी शर्त है कि आयात शुल्क के साथ 325 डॉलर प्रतिटन से कस कीमत का मार्बल आयात नहीं किया जा सकता। ऐसे में प्रदेश के मार्बल की भी मांग रहती है। लेकिन सभी प्रकार के मार्बल आयात से बंदिशें हटीं तो हल्के स्तर का भी मार्बल आ सकेगा और प्रदेश के मार्बल की मांग में भारी
कमी आएगी।
ग्रेनाइट व टाइल ने तोड़ी कमर
मार्बल उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक ग्रेनाइट व टाइल के बढ़ते प्रचलन से तेजी से मार्बल की मांग घटी है। यह राज्य सरकार के हाल ही में जारी आंकड़ों से भी स्पष्ट है। इसके बाद विदेशी मार्बल आयात से सभी बंदिशें हटी तो प्रदेश का मार्बल कारोबार चौपट हो जाएगा। प्रदेश में वर्ष 2012-13 में 1,38,76,890 टन मार्बल की खपत हुई जो वर्ष 2013-14 में घटकर 1,32,08,520 टन ही रह गई।
रखा अपना पक्ष
नई दिल्ली में खान सचिवों की हुई बैठक में अपना पक्ष रख दिया है। मुख्य सचिव ने भी केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है।
अभय कुमार, उद्योग विभाग।