प्रदेशभर में इस पदक के लिए हर वर्ष करीब 150 से 200 पुलिस वाले दावेदारी करते हैं। पुलिस वाले अपनी विंग के मुखिया के जरिए पुलिस मुख्यालय में प्रस्ताव भिजवाते हैं। फिर डीजीपी के नेतृत्व में पुलिस की राज्य स्तरीय कमेटी चयन करती है। बाद में चयन हुए नाम राज्य गृह विभाग के भेजे जाते हैं। यहां चयन कमेटी पूरी तस्दीक के बाद पदक के योग्य समझे जाने वालों के नाम केन्द्रीय गृह विभाग को भेजती है। केन्द्रीय गृह विभाग की इंटेलिजेंस के जरिए पड़ताल करती है कि पदक पाने वाले उसके हकदार हैं या नहीं। इसके बाद चयनित होने वालों को पदक दिया जाता है।
कहते हुए शर्म आती है इस पदक के लिए दावेदारी करने वाले पुलिसर्किर्मयों ने कहा, शर्म आती है, इतने वर्ष सेवा का परिणाम है कि मनोचिकित्सालय का प्रमाण पत्र लेना पड़ रहा है। मनोचिकित्सालय और सवाईमानसिंह चिकित्सालय में सभी जांच करवाने के लिए करीब 1500 रुपए का खर्च आता है।
-भूपेन्द्र सिंह, डीजीपी राजस्थान