scriptपहले बिना सूचना पहले ऑनलाइन क्लास से बाहर किया अब बिना मांगे टीसी ले जाने के लिए कहा | Previously done out of online class without notice, now asked to take | Patrika News

पहले बिना सूचना पहले ऑनलाइन क्लास से बाहर किया अब बिना मांगे टीसी ले जाने के लिए कहा

locationजयपुरPublished: May 28, 2021 08:50:00 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

10 वीं के छात्र की फीस जमासंयुक्त अभिभावक संघ ने बाल आयोग को पत्र लिखकर कार्यवाही करने की मांग की



जयपुर। फीस को लेकर स्कूलों से चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है । अब नया मामला मानसरोवर स्थित एक निजी स्कूल का है। संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि स्कूल प्रशासन ने चार दिन पहले 10वीं के एक छात्र की ऑनलाइन क्लास अचानक बंद कर दी और अगले ही दिन 25म ई उसे व्हाट्सग्रुप से भी हटा दिया गया, जबकि छातर्् के वर्तमान सत्र की पहली तिमाही 20050 रु का भुगतान पहले ही हो चुका था। अभिभावकों ने जब इस संबंध में स्कूल प्रशासन से बात की तो उन्हें कहा गया कि आपने मार्च में टीसी के लिए कहा था ऐसे में अब स्कूल आपके बेटे को स्कूल में नहीं रख सकता जबकि अभिभावकों ने अपने बेटे की टीसी के लिए कोई आवेदन किया ही नहीं था।
संघ के प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि छात्र के माता.पिता ने स्कूल प्रशासक के समक्ष स्पष्ट किया कि उन्होंने टीसी के लिए कोई आवेदन नहीं किया था लेकिन स्कूल प्रशासन ने उनके मेल का कोई जवाब नहीं दिया। जिसके बाद अभिभावक ने संयुक्त अभिभावक संघ से मदद मांगी और बाल आयोग को भी पत्र लिखा।
छात्र के पिता अभय कपूर ने बताया कि स्कूल संचालकों द्वारा किए गए हर कृत्य के तथ्य हमारे पास हैं। स्कूल प्रशासन ने जानबूझकर प्रताडि़त कर रहा है जबकि हमें टीसी की कोई डिमांड नही की और स्कूल के अनुसार बच्चे की 10 वीं क्लास की पहली तिमाही 20050 रु भी जमा करवा दी है। स्कूल प्रशासन के इस दुव्र्यवहार से बच्चे के जीवन पर विपरीत असर पड़ सकता है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल का कहना था कि ऐसे घटनाक्रम शहर के कई स्कूलों में सामने आ रहे है। जो अभिभावक फीस जमा नहीं करवा पा रहे हैं उनके साथ तो दुव्र्यवहार हो ही रहा है लेकिन जो अभिभावक फीस जमा करवा रहे हैं उनके साथ भी ऐसा दुव्र्यहार किया जा रहा है। अभिभावक की शिकायत के बाद संयुक्त अभिभावक संघ ने शिक्षा राज्यमंत्री, प्रिंसिपल सेकेट्री शिक्षा विभाग, जिला शिक्षा अधिकारी और राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है और घटनाक्रम से संबंधित सभी तथ्य भी साथ में भेजे हैं।
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