script2024 तक घर-घर पानी पहुंचाने को देनी होगी कीमत | Price will have to be paid to deliver water from door to door by 2024 | Patrika News

2024 तक घर-घर पानी पहुंचाने को देनी होगी कीमत

locationजयपुरPublished: Nov 01, 2019 12:32:31 am

Submitted by:

dhirya

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को कहा है कि सरकार 2024 तक घर-घर में पानी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसके लिए लोगों को न्यूनतम राशि चुकानी होगी। इन योजनाओं के लिए फंड की जरूरत होती है। उन्होंने मुफ्त में बिजली-पानी देने को घातक कदम बताया।

2024 तक घर-घर पानी पहुंचाने को देनी होगी कीमत

2024 तक घर-घर पानी पहुंचाने को देनी होगी कीमत

नई दिल्ली . केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को कहा है कि सरकार 2024 तक घर-घर में पानी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसके लिए लोगों को न्यूनतम राशि चुकानी होगी। इन योजनाओं के लिए फंड की जरूरत होती है। उन्होंने मुफ्त में बिजली-पानी देने को घातक कदम बताया।
क्लाइमेट इंपैक्ट लैब की ओर से शिकागो यूनिवर्सिटी के टाटा सेंटर फॉर डेवलपमेंट के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में शेखावत ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर एक रिपोर्ट जारी की। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को रोकने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, सार्वजनिक खर्च, शोध एवं इनोवेशन और जन भागीदारी की जरूरत है। उन्होंने उदाहरण दिया कि पंजाब में बिजली मुफ्त होने की वजह से वहां लोग 24 घंटे ट्यूबवेल चलाने लगे। इससे सिंचाई की बाधाएं दूर हुई और पंजाब फसल की पैदावार में सबसे आगे हो गया, लेकिन इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी क्योंकि सबसे कम भूजल स्तर के मामले में भी राज्य आगे हो गया।
जलवायु परिवर्तन से भारत में सालाना 15 लाख मौत की आशंका
जलवायु परिवर्तन के कारण 2100 में तापमान बढऩे से हर साल देश में लगभग 15 लाख लोगों की मौत की आशंका जाहिर की गई है। यह संख्या वर्तमान में सभी संक्रामक बीमारियों से होने वाली मौतों की तुलना में अधिक बैठती है। इनमें 64 प्रतिशत मौतें छह राज्यों-उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र में होने की आशंका जताई गई है।
यह खुलासा क्लाइमेट इंपैक्ट लैब की ओर से शिकागो यूनिवर्सिटी के टाटा सेंटर फॉर डेवलपमेंट के सहयोग से किए अध्ययन में किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के चलते 2100 तक देश के औसत तापमान में 4 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि संभव है। इसका सीधा मतलब है कि 35 डिग्री से ज्यादा वाले गर्म दिनों की औसत संख्या में आठ गुना की बढ़ोतरी हो जाएगी। जैसे 2010 में गर्त दिनों की औसत संख्या 5.1 थी, जो 2021 में यह बढ़कर 42.8 तक पहुंच जाएगी।
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