निजी स्कूलों ने दिया सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम
निजी स्कूल संचालकों का सरकार पर बेरुखी का आरोप
दिया दो दिन का अल्टीमेटम
मांगें पूरी नहीं हुई तो करेंगे चक्काजाम
शहीद स्मारक पर सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां
फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के बैनर तले निजी स्कूल के संचालक और शिक्षकों का धरना आठवें दिन भी लगातार जारी रहा। आज प्रदेश के विभिन्न जिलों से निजी स्कूल संचालक भी धरने में शामिल हुए और सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि सरकार ने दो दिन में उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की तो वह पूरे प्रदेश में चक्काजाम करेंगे और आंदोलन को और तेज करेंगे। निजी स्कूल संचालकों ने इस दौरान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे जाने की मांग भी की । उनका कहना था कि स्कूल शिक्षा को धंधा कहने वाले अपने बयान को लेकर उन्हें माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि 5 नवंबर से शहीद स्मारक पर निजी स्कूल संचालकों का धरना जारी है। फोरम की प्रवक्ता हेमलता शर्मा और सीमा शर्मा 10 नवंबर से आमरण अनशप पर बैठी हैं। स्कूल संचालकों ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब प्रदेश के 50 हजार निजी स्कूलों के 11 लाख शिक्षकों और कर्मचारियों को काली दीवाली मनाने पर मजबूर होना पड़ा। निजी विद्यालयों को ेलकर सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक है जिससें उनमे ंरोष व्याप्त है।
सोशल डिस्टेसिंग की उड़ी धज्जियां
कोविड 19 के दौर के बीच शहीद स्मारक पर चल रहे धरने के दौरान सामाजिक दूरी का नियम हवा हो गया। बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक खुद सोशल डिस्टेंसिंग ही धज्जियां उड़ाते हुए नजर आए। हाथों में अपनी मांगों की तख्तियां लेकर नारेबाजी करने में मशगूल निजी स्कूल संचालक शहीद स्मारक पर इस तरह बैठे हुए थे कि दो गज की दूरी दूर दूर तक नजर नहीं आई।
कोचिंग संस्थानों का मिला साथ
निजी स्कूल संचालकों ने दावा किया है कि आज के प्रदर्शन में उन्हें प्रदेश के कोचिंग संस्थानों, लाइब्रेरी संचालकों का साथ भी मिल गया है। लॉकडाउन शुरू होने के पहले ही दिन से प्रदेश के कोचिंग संस्थान भी बंद हैं, जिसके चलते इन संस्थानों में कार्य करने वाले शिक्षक तथा कर्मचारियों के साथ कोचिंग संचालक बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। उन्हें सरकार की ओर से भी कोई आर्थिक मदद उपलब्ध नहीं करवाई जा रही, उनके सामने जिंदा रहने की समस्या आ खड़ी हुई है। सरकार भी उनकी कोई मदद नहीं कर रही।
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