अनूप कुमार का कहना था कबड्डी का खेल हमारा अपना जमीन से जुड़ा खेल है। बचपन से मेरा इस खेल से जुड़ाव था। गांव के वरिष्ठ खिलाडिय़ों को खेलते देखता तो लगता मैं भी भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा । शुरुआत में गांव में मिट्टी के मैदान में हाथ आजमाने शुरू किए। धीरे धीरे दिग्गजों से इस खेल के दांव पेंच सीखता गया। शुरुआत में गांव की टीमों से खेला फिर स्टेट और राष्ट्रीय क बड्डी प्रतियोगिता में जब जाते थे तो सुविधाएं नाम-मात्र की भी नहीं मिलती थी। जब कभी रेल में सफर करते तो खड़े-खड़े सफर करना पड़ता था। खिलाडिय़ों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती। आउटडोर खेल अब इंडोर हो गया। परन्तु आज प्रो कबड्डी प्रारंभ होने के बाद खिलाडिय़ों को हवाई जहाज से ले जाया जाता है। फाइव स्टार होटल में ठहराया जाता है। आज प्रो क बड्डी में खेलने के लिए खिलाडिय़ों की बोली 10 लाख से शुरू होती है और करोड़ों तक होती है इससे खिलाडिय़ों के भाग खुल गए है।
द्रोणचार्यी ई. प्रसाद. राव ने कहा अखिल भारतीय कबड्डी महासंघ का गठन 1950 में हुआ और 1952 में शुरू हुई वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियनशिप। एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एकेएफआई) 1972 के बाद अस्तित्व में आई। कबड्डी से मेरा संबंध 1972 से शुरू हुआ। एक खिलाड़ी और बाद कोच के रूप में यह खेल हमेशा मेरा साथ रहा। राष्ट्रीय कोच के रूप में 1982 में एशियाई खेल, 2002 नई दिल्ली एशियनगे्स, बूसान, कोरिया में उभरकर आया। भारतीय टीम ने एशियाई और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। आज 30 से अधिक देश कबड्डी खेल रहे हैं। प्रोक कबड्डी का विचार चारू शर्मा के दिमाग में
आया। इसे अमलीजामा चारू , आनंद महिंद्रा और जेएस गहलोत ने पहनाया। इस प्रतियोगिता के लिए राजस्थान कबड्डी संघ को बहुत शुभकामनाएं।