शिक्षा को 'भारत' से जोड़ने की प्रक्रिया बहुत तेजी से चलेगी
बीता साल तो ऐसा था जैसा पिछले 75 साल में दुनिया ने नहीं देखा। जिन चीजों पर सबसे बुरा असर पड़ा है उसमें शिक्षा सबसे अहम है।

जेएस राजपूत, शिक्षाविद और पूर्व निदेशक एनसीईआरटी
बीता साल तो ऐसा था जैसा पिछले 75 साल में दुनिया ने नहीं देखा। जिन चीजों पर सबसे बुरा असर पड़ा है उसमें शिक्षा सबसे अहम है। कल-कारखानों और अर्थव्यवस्था की रफ्तार तो आप दुबारा बढ़ा लेंगे, लेकिन फूल जैसे बाल और किशोर मन के लिए इससे बाहर निकल पाना बहुत मुश्किल होगा। क्या आप कल्पना भी कर सकते थे कि बच्चों को एक दिन के लिए पूरी तरह घर में ही बंद कर के रख दिया जाएगा? लेकिन एक साथ सारे बच्चों के लिए वह भी महीनों-महीनों के लिए ऐसा करना पड़ा है। बच्चों को मित्र चाहिए, सहपाठी चाहिए, स्कूल चाहिए, पार्क और खेल का मैदान चाहिए। लेकिन इन सब से वंचित हो गए।
लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में हम पूरी तरह ठिठक और सहम कर खड़े तो रह नहीं सकते थे। ऐसे में पढ़ाई के जो ऑनलाइन तरीके धीरे-धीरे विकसित हो रहे थे, अचानक से हमें उसे पूरी तरह अपना लेना पड़ा। बच्चों का तनाव काफी बढ़ा है। परीक्षाओं पर प्रभाव पड़ा है।
आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और सुधार दोनों बहुत तेजी से होंगे। बहुत अच्छी बात है कि बीत रहे वर्ष में ही नई शिक्षा नीति जारी हो गई है। हमें सिर्फ छात्रों को क्लास रूम में लौटाने की ही तैयारी नहीं करनी है, बल्कि अगले दो-तीन वर्षों के अंदर हमें शिक्षा के ढांचे को आधार से ही बदलना है। तीन से पांच साल तक के बच्चों को जहां पहले आंगनबाड़ी में भेजा जाता था, अब स्कूली पढ़ाई की व्यवस्था से जोड़ा जाएगा। सबसे अधिक ध्यान इसी उम्र के 6 करोड़ बच्चों पर दिया जाएगा, क्योंकि यही वह उम्र है जब बच्चे सबसे अधिक सीख पाते हैं।
नई शिक्षा नीति के तहत अब शिक्षा को भारत और भारतीय संस्कृति से भी जोड़ा जाएगा। अंग्रेजों ने हमारे दिमाग में यह बिठाया था कि ज्ञान की सारी रौशनी पश्चिम में है और भारत अंधकार का प्रतीक है। 1947 मेेंं आजादी मिलने के बाद भी उसे ही जारी रखा गया। अब इसे समाप्त कर दिया जाना है। प्रक्रिया बहुत तेजी से चलेगी।
वोकेशनल और सामान्य शिक्षा के बीच का अंतर समाप्त होगा। लोगों में यह विश्वास लौटाना होगा कि हाथ से किया जाने वाला हर काम सम्मान के लायक है। जब छात्र हुनर सीख लेगा तो जीवन भर किसी पर आश्रित होने की नौबत नहीं आएगी। उम्मीद है कि अब हम अपने भविष्य के नागरिकों के लिए अध्यापकों की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान देंगे। चार वर्ष का इंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम करने वाले ही शिक्षक बन सकेंगे। यह बहुत अहम बदलाव होगा। इसी तरह छात्रों को अपनी इच्छा के अनुरूप विषय चुनने की आजादी मिलेगी। यानी वे भौतिकी के साथ संगीत पढ़ सकेंगे या फिर जीवविज्ञान के साथ फिलॉस्फी जैसा कोई विषय पढ़ सकेंगे।
आगे हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना है। बच्चों और किशोरों को बदलावों के लिए मानसिक रूप से तैयार होने में सहायता देनी होगी। सरकारों को देखना होगा कि ऑनलाइन पढ़ाई से डिजिटल डिवाइड नहीं बढ़े। पढ़ाई के साथ ही सारी सावधानियां रखते हुए आउडडोर गतिविधियों को लगातार बढ़ाना होगा।
- जैसा कि दिल्ली से मुकेश केजरीवाल को बताया।
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